Last Updated:November 06, 2025, 08:44 IST
Kidney Trafficking Racket: ऑर्गन ट्रैफिकिंग को रोकने के लिए राज्य के साथ ही केंद्र के स्तर पर भी प्रयास किए जाते हैं. इसके बावजूद तस्कर विभिन्न तरह का लालच देकर लोगों को दुख और संकट के भंवर में धकेल देते हैं. असम में ऐसा ही एक मामला सामने आया है.
असम में किडनी तस्करी रैकेट का खुलासा हुआ है. (सांकेतिक तस्वीर)Kidney Trafficking Racket: असम के नगांव जिले में एक ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए तीन तस्करों को गिरफ्तार किया गया है. नगांव के SSP स्वप्निल डेका ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में चलाए गए अभियान में गिरोह के पूरे जाल का पर्दाफाश हुआ है. उन्होंने बताया कि यह गिरोह क्षेत्र में कई सालों से ऑपरेट कर रहा था. रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में गांव में ‘ग्राम महिला रक्षा बल’ के तत्वावधान में मादक पदार्थ और अवैध शराब के खिलाफ जागरूकता बैठक आयोजित करने के बाद किडनी बेचने का अवैध कारोबार प्रकाश में आया था. SSP ने बताया कि जब हमें इसकी जानकारी मिली तो नगांव पुलिस ने गहन जांच शुरू की. हमने आज गिरोह के तीन संदिग्ध सदस्यों को गिरफ्तार किया, जिनकी पहचान धरणी दास उर्फ बोगामुला, महेंद्र दास और दीप दास के रूप में हुई है. पुलिस पूछताछ के दौरान पता चला कि कामरूप जिले के बैहाटा चारियाली निवासी हजारिका और गुवाहाटी निवासी दौलगापु भी इस धंधे में उनके साथ शामिल हैं. अब इस मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. तस्करी के मॉडस ऑपरेंडी यानी तौर-तरीकों के बारे में जानकर हर कोई भौंचक्का है.
दरअसल, असम के नगांव जिले के कैवर्ता गांव में किडनी तस्करी रैकेट उजागर हुआ है. महज 2200 की आबादी वाले इस छोटे से गांव में लगभग आधे लोग अपनी एक किडनी गंवा चुके हैं. गरीबी, बेरोजगारी और नशे की गिरफ्त में आए इन ग्रामीणों को दलाल रोजगार और पैसों का लालच देकर कोलकाता ले जाते थे, जहां ऑपरेशन के जरिए उनकी किडनी निकाल ली जाती थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ितों ने बताया कि उन्हें अस्पताल ले जाकर बेहोश कर दिया गया. होश में आने के बाद वे अपने गांव चले गए, फिर महीनों के बाद उन्हें हकीकत का पता चला. पुलिस ने इस रैकेट को चलाने वाले तीन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. जांच से पता चला है कि ये गिरोह कई सालों से गरीब और नशे के आदी लोगों को निशाना बना रहा था.
ऐसे खुला राज
यह मामला तब सामने आया जब हाल ही में गांव में अवैध शराब और नशीली दवाओं के खिलाफ एक जागरूकता बैठक आयोजित की गई. बैठक के दौरान कई ग्रामीणों ने स्वीकार किया कि उन्होंने 3 से 6 लाख रुपये में अपनी किडनी बेची थी. सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने के बावजूद आर्थिक संकट, बेरोजगारी और कर्ज ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया. इस रैकेट के बारे में सभी को पता है, लेकिन इसपर बात करने के लिए कोई तैयार नहीं है. इस गांव में तकरीबन तीन चौथाई लोग बेरोजगारी के शिकार हैं. ‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट के अनुसार, एक ग्रामीण ने बताया कि उन्हें मेडिकल टेस्ट के नाम पर कोलकाता ले जाया गया. बेहोशी की दवा दी और सर्जरी कर दिया. महीनों बाद पता चला कि किडनी निकाल ली गई है. एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि दलाल भावनात्मक तौर पर कमजोर पुरुषों को फंसाते थे, खासकर वे जिनकी पत्नियां घर छोड़कर मायके चली गई थीं. बदले में उन्हें नौकरी और कमीशन का लालच दिया जाता था.
लॉकडाउन के बाद गिरोह एक्टिव
बता दें कि इस तरह का मामला असम में पहली बार सामने नहीं आया है. 2020 में मोरीगांव जिले में इसी तरह के एक रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था. उस मामले में 20 गरीब लोग फंसाए गए थे. एक महिला एजेंट लिलीमाई बड़ा को मुख्य सरगना के तौर पर गिरफ्तार किया गया था. साल 2021 में नगांव के ही एक अन्य गांव के युवकको गार्ड की नौकरी का लालच देकर कोलकाता ले जाया गया था. मेडिकल टेस्ट के दौरान उसे खेल का एहसास हुआ और वह किसी तरह भाग निकला था. कैवर्ता गांव के मुखिया के अनुसार यह अवैध धंधा कई वर्षों से चल रहा था. उन्होंने कहा, ‘गरीबी और शराब के व्यापार ने गांव को लगभग विकलांगों के समाज में बदल दिया है.’ दावा है कि कुछ परिवार में तो पति-पत्नी दोनों अपनी किडनी बेच चुके हैं.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
Guwahati,Kamrup Metropolitan,Assam
First Published :
November 06, 2025, 08:44 IST

1 month ago
