आरबीआई ने दावा- अमे‍रिका भी थाम नहीं सका भारत की तेज रफ्तार, क्‍या है इसका राज

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Last Updated:December 22, 2025, 22:50 IST

RBI Bulletin : रिजर्व बैंक ने अपनी हालिया बुलेटिन में बताया है कि ग्‍लोबल मार्केट की तमाम चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्‍यवस्‍था ने ग्रोथ हासिल की है और अगे भी यह तेजी बरकरार रहेगी.

आरबीआई ने दावा- अमे‍रिका भी थाम नहीं सका भारत की तेज रफ्तार, क्‍या है इसका राजआरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ बढ़ाने का राज बताया है.

नई दिल्‍ली. रिजर्व बैंक ने अपनी बुलेटिन में बताया है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था ने तमाम दुश्‍वारियों और अमेरिका के दबाव के बावजूद कैसे खुद को साबित किया है. आज वह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकनॉमी है और आगे ग्‍लोबल मार्केट में क्‍या-क्‍या चुनौतियां आएंगी, जिनका सामना हमें करना होगा. आरबीआई ने बुलेटिन में बताया कि समन्वित राजकोषीय, मौद्रिक और नियामक नीतियों ने अर्थव्यवस्था में मजबूती लाने में मदद की है. वैसे तो यह बाहरी क्षेत्र की चुनौतियों से पूरी तरह अप्रभावित नहीं है. फिर भी तेज ग्रोथ हासिल करने में कामयाब रही है.

आरबीआई के दिसंबर बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि वृहद आर्थिक बुनियाद और आर्थिक सुधारों पर निरंतर ध्यान देने से दक्षता और उत्पादकता में वृद्धि होगी. इससे तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश के बीच अर्थव्यवस्था को उच्च वृद्धि के रास्ते पर मजबूती से बनाए रखने में मदद मिलेगी. इसमें कहा गया है कि वर्ष 2025 में वैश्विक व्यापार नीतियों में काफी बदलाव आया है. शुल्क और व्यापार की शर्तों पर द्विपक्षीय स्तर पर पुनर्विचार की दिशा में कदम बढ़ाया गया.

ग्‍लोबल मार्केट से कई चुनौतियां
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर लिखे गए लेख में कहा गया है कि इसका वैश्विक व्यापार प्रवाह और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर प्रभाव अभी भी सामने आ रहा है. इससे वैश्विक अनिश्चितताएं और वैश्विक वृद्धि की संभावनाओं को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था बाहरी क्षेत्र की चुनौतियों से पूरी तरह अप्रभावित नहीं है, लेकिन समन्वित राजकोषीय, मौद्रिक और नियामक नीतियों ने मजबूती लाने में मदद की है. लेख में कहा गया है कि 2025-26 की दूसरी तिमाही में मजबूत घरेलू मांग के समर्थन से भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछली 6 तिमाहियों में सबसे तेज गति से वृद्धि हासिल की है.

नवंबर के आंकड़ों से मिला संकेत
नवंबर के महत्वपूर्ण आंकड़े (जीएसटी संग्रह, ई-वे बिल आदि) बताते हैं कि समग्र आर्थिक गतिविधियां तेज रही हैं और मांग की स्थिति मजबूत बनी हुई है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में मामूली वृद्धि हुई, लेकिन यह न्यूनतम संतोषजनक स्तर (2 फीसदी) से नीचे बनी हुई है. इसके अलावा, लेख में कहा गया है कि वित्तीय स्थितियां अनुकूल बनी रहीं और वाणिज्यिक क्षेत्र में वित्तीय संसाधनों का प्रवाह मजबूत रहा है. कम वस्तु व्यापार घाटा, मजबूत सेवा निर्यात और प्रेषण प्राप्तियों के समर्थन से 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत का चालू खाते का घाटा पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कम रहा.

आगे भी रेपो रेट कटौती की गुंजाइश
लेख में कहा गया कि मजबूत घरेलू मांग के साथ आर्थिक वृद्धि मजबूत रही. महंगाई में नरमी ने मौद्रिक नीति को आर्थिक वृद्धि का समर्थन करने के लिए पर्याप्त गुंजाइश प्रदान की है. लेख में यह भी कहा गया है कि अप्रैल-अक्टूबर 2025 के दौरान, सकल और शुद्ध दोनों ही मामलों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पिछले वर्ष की तुलना में अधिक रहा. अक्टूबर में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) अच्छा रहा. सिंगापुर, मॉरीशस और अमेरिका का कुल एफडीआई प्रवाह में 70 फीसदी से अधिक का योगदान रहा.

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Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

December 22, 2025, 22:50 IST

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