Last Updated:December 23, 2025, 06:16 IST
Working Hour : क्या आपको पता है कि देश में एक सप्ताह में कितने घंटे काम करने का नियम है. इसे लेकर इन्फोसिस के दो को-फाउंडर्स ने अपने-अपने मत रखे हैं. पहले नारायणमूर्ति ने 70 घंटे काम करने की बात कही थी और अब कंपनी के एक और को-फाउंडर ने समय के बजाय गुणवत्ता पर जोर दिया है.
इन्फोसिस को-फाउंडर ने काम के घंटों को लेकर फिर बयान दिया है. नई दिल्ली. देश की दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस के शीर्ष अधिकारियों को काम के समय को लेकर ज्ञान देने का चस्का लगा हुआ है. पहले इस पूरे विवाद की शुरुआत इन्फोसिस के फाउंडर नारायणमूर्ति ने की थी और अब कंपनी के एक और शीर्ष अधिकारी ने इस पर अपना पक्ष रखा है. हालांकि, इस बार मामला जरा उल्टा है और उन्होंने समय के बजाय काम की गुणवत्ता पर फोकस किया है. ऐसा लगता है कि उन्होंने नारायणमूर्ति के बयान के बाद डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है.
इन्फोसिस के सह-संस्थापक एसडी शिबूलाल ने सप्ताह में 70 घंटे काम करने की बहुचर्चित सलाह पर कहा है कि काम में समय की लंबाई से ज्यादा, समय की गुणवत्ता मायने रखती है. इन्फोसिस के ही एक अन्य सह-संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने इससे पहले पेशेवरों को सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी जिसके बाद काफी विवाद पैदा हो गया था. शिबूलाल ने आईआईएमयूएन की तरफ से आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में नारायणमूर्ति के सुझाव पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मेरा मानना है कि समय से ज्यादा समय की गुणवत्ता अधिक मायने रखती है.
क्या था उनके बयान का मकसद
उन्होंने कहा, कि अभी मैं यहां बैठा हूं तो मुझे पूरी तरह यहां उपस्थित रहना है. मैं अपना ध्यान भटकने नहीं दे सकता. मुझे मोबाइल या किसी अन्य विचार से अपना ध्यान भटकने नहीं देना है. इसके साथ ही शिबूलाल ने कहा कि समय के प्रबंधन के लिहाज से व्यक्तिगत प्राथमिकताएं और समय का विभाजन हर व्यक्ति की अपनी पसंद होती है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जीवन में व्यक्तिगत, पेशेवर और सार्वजनिक जीवन के रूप में तीन आयाम हैं और इनके बीच समय का संतुलन तय करना व्यक्ति का अपना चुनाव होता है.
काम में 100 फीसदी निष्ठा जरूरी
उन्होंने कहा कि जो भी आप चुनें, उसे पूरी निष्ठा और पूर्ण समर्पण के साथ करना चाहिए. काम कोई भी हो आपको उसमें 100 फीसदी उपस्थित रहना होगा. शिबूलाल ने साल 2011 से साल 2014 तक इन्फोसिस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के रूप में जिम्मेदारी निभाई थी. इससे पहले नारायणमूर्ति के 70 घंटे के कामकाजी सप्ताह संबंधी सुझाव से निजी एवं कामकाजी जीवन के बीच संतुलन का मुद्दा बहस के केंद्र में आ गया था. इंजीनियरिंग एवं निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के शीर्ष प्रबंधन ने तो 90 घंटे प्रति सप्ताह काम करने की राय दी थी.
क्या कहता है लेबर कानून
सप्ताह में 70 घंटे या उससे ज्यादा अथवा कम काम करने को लेकर कोई कुछ भी कहे, लेकिन इसे लेकर बनाए गए श्रम कानून का अलग ही मानना है. देश का श्रम कानून कहता है कि सप्ताह में सिर्फ 48 घंटे काम करने से वर्क लाइफ बैलेंस बना रहता है. पिछले महीने लागू हुए नए श्रम कानून में भी 48 घंटे ही सप्ताह में काम करने की बात कही गई है. इसका मतलब है कि 70 घंटे काम करने को लेकर जारी बयानबाजी अभी तक पूरी तरह निराधार है.
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प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 23, 2025, 06:16 IST

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