जेल में बंद नया डॉन इतना एक्टिव कैसे? बिश्नोई गैंग तक हथियार पहुंचने का राज

2 weeks ago

नई दिल्ली: साबरमती जेल में मोबाइल फोन तक पहुंच न होने के बावजूद लॉरेंस बिश्नोई गैंग का भारत से लेकर यूरोप और स्पेन तक सुपर-सक्रिय नेटवर्क चल रहा रहा है. यह नेटवर्क सुरक्षा एजेंसियों की सबसे बड़ी सिरदर्दी बन गया है. हाल ही में पंजाब और दिल्ली में हुए ऑपरेशनों ने यह साफ कर दिया कि गैंग की कमान जेल की चारदीवारी के बाहर नहीं, बल्कि अंदर से ही चल रही है.

गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई और नोनी राणा की गिरफ्तारी के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि गैंग का चेप्टर ढह जाएगा. लेकिन वास्तविकता इसके ठीक उलट निकली. जांच में सामने आया है कि लॉरेंस का इंटरनेशनल क्राइम सिंडिकेट एन्क्रिप्टेड ऐप्स, विदेशी हैंडलर, चीनी हथियारों की फंडिंग और ड्रोन रूट से आने वाली हथियारों की सप्लाई के भरोसे पहले से ज्यादा संगठित हो चुका है.

यूरोप और स्पेन बने बिश्नोई गैंग का नया ‘एपिक सेंटर’

दिल्ली और पंजाब पुलिस की ताजा गिरफ्तारियों ने एक चौंकाने वाला पैटर्न उजागर किया. पता चला कि गैंग अब भारत में नहीं, बल्कि यूरोप, स्पेन और कनाडा में बैठे मास्टरमाइंड्स से ऑपरेट हो रहा है. गोल्डी ढिल्लों और मनदीप स्पेन जैसे गैंगस्टर वहां से टारगेट तय कर रहे हैं और भारत में शूटर्स को लोकेशन, हथियार और पैसे भेज रहे हैं. लेकिन सबसे खतरनाक लिंक चीन से जुड़ा है. जहां से गैंग को लगातार मॉडर्न पिस्टल, कारतूस और टेक्टिकल असॉल्ट हथियार मिल रहे हैं.

गैंग अब इंटरनेशनल क्राइम मशीन बन चुका है.

बिश्नोई गैंग के हथियार आखिर आते कहां से हैं?

जांच में सामने आया है कि गैंग का मॉडर्न हथियार नेटवर्क तीन देशों पर टिका है चीन, पाकिस्तान और नेपाल. शूटरों को बरामद हुए कारतूस मेड इन चीन और मेड इन तु्र्की के मिले. इससे साफ है कि इनकी सप्लाई हाई-एंड इंटरनेशनल रैकेट से हो रही है.

गैंग की सप्लाई चेन का खुलासा

चीन के कुख्यात हथियार रैकेट 14K और Sun Yee On से कनेक्शन की जांच. हथियार पाकिस्तान होते हुए ड्रोन के जरिए पंजाब-राजस्थान बॉर्डर में गिराए जाते. GPS लोकेशन के जरिए शूटर ड्रॉप पॉइंट से हथियार उठा लेते. USA-बेस्ड आर्म्स माफिया सोनू खत्री और रंजीत डुपला सप्लायर चेन का हिस्सा. यूरोप से गोल्डी ढिल्लों रिमोट कंट्रोल की तरह शूटर्स को निर्देश देता.

गैंग के हाई-प्रोफाइल हैंडलर: कौन किस देश में?

नामलोकेशनभूमिका
सोनू खत्रीUSAहाई-एंड हथियार सप्लायर
गोल्डी ढिल्लोंयूरोपटारगेट किलिंग मास्टरमाइंड
मनदीप स्पेनस्पेनफंडिंग और शूटर्स कंट्रोल
हैरी चट्टापाकिस्तानISI लिंक, ड्रोन रूट सप्लाई
बंधु मान सिंहकनाडा/भारतलॉजिस्टिक सपोर्ट, शूटर्स हायरिंग

अनमोल और नोनी की गिरफ्तारी के बाद भी लॉरेंस की पकड़ क्यों नहीं ढीली?

दरअसल, गैंग की कमान अब पूरी तरह डिजिटल हो चुकी है. सभी ऑपरेशन Signal, Session, Threema और डार्क वेब आधारित ऐप्स से चल रहे हैं. इन्हें ट्रेस करना मुश्किल है, जिससे लॉरेंस की पकड़ भले ही जेल में हो. लेकिन कंट्रोल उसकी टीम के पास दुनिया भर में फैला हुआ है.

चीन से हथियार, यूरोप से फंडिंग और ड्रोन रूट के जरिए भारत में सप्लाई.

डेरा बस्सी एनकाउंटर: यही से खुला चीन कनेक्शन

पंजाब पुलिस की एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स ने एनकाउंटर में चार शूटर पकड़े. पूछताछ में खुलासा हुआ कि इनके पास जो कारतूस मिले, वह सीधे चीन से आए थे. गैंग बमबिहा ग्रुप के टॉप लीडर की हत्या की साजिश रच चुका था. इन्हीं शूटरों ने बारीकी से रेकी की, वीडियो बनाए और यूरोप बैठे गोल्डी ढिल्लों को भेजे.

MP के जंगल: भारत का लोकल हथियार हब भी इस गैंग की मदद में

मध्यप्रदेश के धार, मनावर, खंडवा, खरगोन और बुरहानपुर में फैले देहाती हथियार फैब्रिकेटर्स इस गैंग को लोकल पिस्टल–कार्बाइन सप्लाई करते हैं. दिल्ली पुलिस ने पिछले कुछ साल में ऐसे 700 से ज्यादा तस्करों को पकड़ा और 8,000 से ज्यादा हथियार बरामद किए.

साबरमती जेल में होने के बावजूद गैंग की सक्रियता बढ़ी.

क्यों डर बढ़ रहा है?

डर इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि लॉरेंस बिश्नोई गैंग अब एक पूरी तरह लेयर्ड नेटवर्क में बदल चुका है. विदेशों में बैठे मास्टरमाइंड टारगेट तय करते हैं. डिजिटल हैंडलर एन्क्रिप्टेड ऐप्स से निर्देश भेजते हैं. ड्रोन रूट से हथियार आते हैं. लोकल मॉडिफाइड गन्स सप्लाई होती हैं और ग्राउंड पर टीमें रेकी कर टारगेट किलिंग की तैयारी करती हैं. यही वजह है कि गैंग अब इंटरनेशनल क्राइम मशीन बन चुका है.

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