Last Updated:December 19, 2025, 23:21 IST
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया. (फाइल फोटो)नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हमारे संविधान में आज़ादी कोई राज्य की तरफ से दी गई चीज़ नहीं है, बल्कि ये उसकी पहली जिम्मेदारी है. कोर्ट ने ये भी कहा कि पासपोर्ट प्राधिकरण को पासपोर्ट नवीनीकरण के समय भविष्य की यात्रा या वीजा की जानकारी मांगने की जरूरत नहीं है. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस ए जी मसीह की बेंच ने कहा कि पासपोर्ट प्राधिकरण का काम सिर्फ ये देखना है कि लंबित केस के बावजूद, आपराधिक अदालतों ने यात्रा की इजाजत दी है या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमारे संविधान में आज़ादी राज्य की तरफ से दिया गया तोहफा नहीं है, बल्कि उसकी पहली जिम्मेदारी है. कानून के दायरे में रहते हुए, किसी भी नागरिक को आने-जाने, यात्रा करने, आजीविका और मौके पाने की आज़ादी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटी है.’ सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश महेश कुमार अग्रवाल की याचिका पर दिया, जो रांची की एनआईए कोर्ट में यूएपीए के तहत केस का सामना कर रहे हैं. अग्रवाल ने जमानत की शर्त के तौर पर जमा किए गए अपने पासपोर्ट के नवीनीकरण की मांग की थी, लेकिन उनका पासपोर्ट 2023 में खत्म हो गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘पासपोर्ट प्राधिकरण को नवीनीकरण के समय भविष्य की यात्रा या वीजा की जानकारी मांगने की जरूरत नहीं है, जो शायद अभी हो भी न. उसका काम सिर्फ ये देखना है कि लंबित केस के बावजूद, आपराधिक अदालतों ने यात्रा की इजाजत दी है या नहीं.’ अग्रवाल ने कलकत्ता हाईकोर्ट के नवीनीकरण से इनकार करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और पासपोर्ट ऑफिस को नवीनीकरण का आदेश देने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया और पासपोर्ट प्राधिकरण को अग्रवाल का पासपोर्ट नवीनीकृत करने का निर्देश दिया.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 19, 2025, 23:21 IST

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