क्या प्रियंका गांधी की 'सॉफ्ट पावर' के आगे अब फीके पड़ रहे हैं राहुल के तेवर?

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Last Updated:December 19, 2025, 21:35 IST

Priyanka Gandhi News: संसद सत्र के दौरान प्रियंका गांधी की सक्रियता और राहुल गांधी की दूरी ने कांग्रेस में दो पावर सेंटर की चर्चा छेड़ दी है. प्रियंका ने पीएम मोदी के साथ चाय पी और नितिन गडकरी से भी बेहतर तालमेल बिठाया. उन्होंने साइडलाइन किए गए नेताओं को फिर से मुख्य धारा में जोड़ा है. पार्टी अब राहुल को वैचारिक और प्रियंका को रणनीतिक चेहरा मान रही है.

क्या प्रियंका गांधी की 'सॉफ्ट पावर' के आगे अब फीके पड़ रहे हैं राहुल के तेवर?प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा. (Photo : PTI)

नई दिल्ली: संसद सत्र खत्म होने के बाद ‘चाय पे चर्चा’ की तस्वीरों ने कांग्रेस के अंदर की नई कहानी बयां कर दी है. जहां आमतौर पर पीएम और स्पीकर पहली लाइन में बैठते हैं. वहां पहली बार सांसद बनीं प्रियंका गांधी का दिखना बड़ी बात है. प्रियंका न केवल पहली लाइन में बैठीं बल्कि उन्होंने पीएम मोदी से चाय की चुस्की लेते हुए बात भी की. वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी इस अहम और अनौपचारिक मौके से पूरी तरह गायब रहे. प्रियंका का यह अंदाज उनकी बढ़ती ताकत और पार्टी पर पकड़ का सबूत माना जा रहा है. वे पहली बार सदन में आई हैं लेकिन उनका प्रभाव पुराने दिग्गजों से भी कहीं ज्यादा नजर आ रहा है. प्रियंका ने सदन में नितिन गडकरी से भी खास मुलाकात की. वे पार्टी के उन पुराने और काबिल नेताओं को भी फिर से साथ ला रही हैं जिन्हें राहुल ने किनारे कर दिया था. कांग्रेस में अब दो पावर सेंटर की चर्चा काफी तेज हो गई है. प्रियंका की सक्रियता और राहुल की दूरी ने पार्टी के अंदर एक नई बहस को जन्म दे दिया है.

क्या चाय की चुस्की ने कांग्रेस की पुरानी परंपरा को हमेशा के लिए बदल दिया?

पार्लियामेंट सेशन के समापन पर स्पीकर की चाय की दावत हुई. इसमें प्रियंका गांधी वाड्रा पहली लाइन में बैठी नजर आईं. उनके पीछे सुप्रिया सुले जैसे कई अनुभवी और बड़े नेता बैठे थे. प्रियंका ने वहां पीएम मोदी के साथ काफी सहज होकर बातचीत की. सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच वायनाड को लेकर चर्चा हुई. राहुल गांधी अक्सर ऐसी मीटिंग्स और अनौपचारिक मुलाकातों से दूर रहते हैं. लेकिन प्रियंका गांधी हर मौके का राजनीतिक फायदा उठाना जानती हैं. उनकी यह ‘चाय पॉलिटिक्स’ राहुल गांधी की शैली से बिल्कुल अलग है. वे पब्लिक अपीयरेंस और ऑप्टिक्स के महत्व को अच्छे से समझती हैं. यही वजह है कि उनकी मौजूदगी ने पूरी महफिल को लूट लिया.

क्या नितिन गडकरी से मुलाकात प्रियंका गांधी की एक सोची-समझी चाल थी?

सदन के अंदर प्रियंका गांधी का व्यवहार बहुत ही सधा हुआ रहा है. उन्होंने एक दिन पहले ही सदन में नितिन गडकरी से वक्त मांगा था. उन्हें अपने क्षेत्र वायनाड के एक हाईवे प्रोजेक्ट पर चर्चा करनी थी. गडकरी ने भी मुस्कुराते हुए उन्हें फौरन अपने ऑफिस आने का न्योता दिया. दोनों की मुलाकात बेहद गर्मजोशी भरे माहौल में हुई.

यह प्रियंका की विपक्षी नेताओं के साथ तालमेल बनाने की कला को दिखाता है. राहुल गांधी सदन में अक्सर बहुत ज्यादा आक्रामक और तीखे तेवर अपनाते हैं. लेकिन प्रियंका गांधी मुस्कुराकर और विनम्रता से अपना काम निकलवा लेती हैं. वे रोजाना सुबह 9.30 बजे संसद पहुंच जाती हैं. मीडिया में भी उनकी कवरेज अब राहुल गांधी से कहीं ज्यादा दिखाई दे रही है.

क्या प्रियंका ने राहुल के किनारे किए गए नेताओं को फिर से मुख्य धारा में जोड़ा?

कांग्रेस में मनीष तिवारी और शशि थरूर जैसे नेता काफी समय से साइडलाइन थे. प्रियंका गांधी ने उन्हें फिर से पार्टी की रणनीति का हिस्सा बनाया है. उन्होंने महसूस किया कि पार्टी के काबिल वक्ताओं को दूर रखना बीजेपी को फायदा पहुंचाना है. प्रियंका की ही पहल पर मनीष तिवारी ने सदन में कई अहम बिलों पर चर्चा की. शशि थरूर भी अब सदन के अंदर और बाहर काफी एक्टिव दिख रहे हैं. अपनी मां सोनिया गांधी की तरह प्रियंका भी सबको साथ लेकर चलने में यकीन रखती हैं. वे पार्टी के अंदर की पुरानी गुटबाजी को खत्म करने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं. इससे पार्टी को बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत और एकजुट आवाज मिल रही है.

क्यों बीजेपी को अब राहुल गांधी से ज्यादा प्रियंका गांधी से डर लग रहा है?

बीजेपी के कई नेता अक्सर राहुल गांधी के बयानों का मजाक उड़ाते हैं. लेकिन प्रियंका गांधी को निशाना बनाना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. प्रियंका का व्यवहार बहुत ही संयमित और प्रभावशाली है. वे सदन में सीधे पीएम मोदी को भी चुनौती देने से नहीं कतराती हैं. लेकिन उनका तरीका बहुत ही शालीन और तार्किक होता है. वे किसी भी नेता से लंबे समय तक व्यक्तिगत नाराजगी नहीं रखती हैं. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी प्रियंका गांधी के प्रति काफी नरम रहे हैं. पीके ने बिहार में अपनी यात्रा के दौरान राहुल पर हमले किए थे. लेकिन उन्होंने प्रियंका गांधी के बारे में हमेशा सम्मानजनक बातें ही कही हैं.

क्या कांग्रेस में अब राहुल और प्रियंका के रूप में दो पावर सेंटर बन चुके हैं?

विंटर सेशन खत्म होने तक कांग्रेस के अंदर की हवा पूरी तरह बदल गई है. पार्टी के कई बड़े नेता अब प्रियंका गांधी में अपना भविष्य देख रहे हैं. कई लोग दबी जुबान में कह रहे हैं कि कांग्रेस में अब दो पावर सेंटर बन चुके हैं. राहुल गांधी पार्टी का वैचारिक चेहरा और कैंपेनर बने रहेंगे. लेकिन पार्टी का डेली मैनेजमेंट और रणनीतिक फैसले प्रियंका के हाथ में जा सकते हैं. कई नेता अब अपनी शिकायतें और सुझाव लेकर प्रियंका के पास जा रहे हैं. उनकी सहजता और काम करने का तरीका पुराने कांग्रेसी कल्चर से मेल खाता है. आने वाले समय में प्रियंका की भूमिका पार्टी में और भी ज्यादा निर्णायक होने वाली है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

December 19, 2025, 21:35 IST

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