बिहार में रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम से ही शुरू होती है जमीन कब्जे की कहानी

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Last Updated:December 20, 2025, 10:44 IST

Bihar Land Mafia News : अलमारी में बंद जमीनों के कागजातों में हेराफेरी बिहार में खुलेआम की जा रही है. सरकार भूमि माफियाओं पर कार्रवाई के दावे करती है, लेकिन रजिस्ट्री ऑफिस माफियाओं के लिए सुरक्षित ठिकाने जैसा बन चुके हैं. यहां जमीन हथियाने का खेल न खेत में खेला जा रहा है, न अदालत में- बल्कि सरकारी रिकॉर्ड रूम के भीतर ही सारा खेल हो जा रहा है.

बिहार में रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम से ही शुरू होती है जमीन कब्जे की कहानीअररिया रजिस्ट्री ऑफिस में भूमि घोटाला, FIR के बाद भी गिरफ्तारी नहीं

अररिया. बिहार के निबंधन कार्यालयों यानी रजिस्ट्री ऑफिसों में असामाजिक तत्वों की बेरोकटोक आवाजाही ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं. रिकॉर्ड रूम से जमीन के मूल दस्तावेज गायब कर फर्जी कागजात तैयार किए जा रहे हैं और उन्हीं के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री करवा ली जाती है. यह खेल कोई नया नहीं है, बल्कि वर्षों से चल रहा है. हैरानी की बात यह है कि अररिया रजिस्ट्री ऑफिस के रजिस्टर में छेड़छाड़ के मामले में 10 लोगों पर नामजद FIR दर्ज होने के बावजूद अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

भूमि माफिया का दबदबा

दरअसल, बिहार सरकार भूमि माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई का दावा कर रही है, लेकिन अररिया के रजिस्ट्री ऑफिस में असामाजिक तत्वों का कब्जा बरकरार है. रिकॉर्ड रूम में मूल दस्तावेज गायब कर फर्जी कागजात बनाए जा रहे हैं. विभागीय अधिकारी मानते हैं कि यह समस्या सिर्फ अररिया तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे बिहार के रिकॉर्ड रूम में फैली हुई है. बता दें कि रिकॉर्ड रूम के रजिस्टर में छेड़छाड़ के मामले में नगर थाने में 10 लोगों पर नामजद FIR दर्ज हुई, लेकिन दो दिन बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. सवाल उठता है कि माफिया रजिस्ट्री ऑफिस में कैसे पैठ बनाए हुए हैं.

ऑफिस में बेरोकटोक एंट्री

अररिया निबंधन कार्यालय में कोई भी बिना रोक-टोक घुस सकता है, कोई बैरियर (बाधा) नहीं है. भूमि माफिया सिंडिकेट की पहुंच इतनी गहरी है कि वे रिकॉर्ड रूम के मूल अभिलेख के पन्ने फाड़कर फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं और रजिस्टर में चिपका देते हैं. इसी फर्जी कागज के आधार पर वे किसी की निजी जमीन को अपना बताकर रजिस्ट्री करवा लेते हैं. यहीं से जमीन कब्जाने की कहानी शुरू होती है. अररिया रजिस्ट्री ऑफिस के कातिब अरुण वर्मा ने बताया कि माफिया सिंडिकेट चारों ओर बैठे रहते हैं. उनका कागज तैयार होने पर ही रजिस्ट्री के लिए आते हैं.

पूरे बिहार में फैला खेल

जिला अवर निबंधक पदाधिकारी कौशल कुमार झा ने कहा कि भूमि माफियाओं का यह खेल अररिया तक सीमित नहीं. उनकी पहुंच रिकॉर्ड रूम तक है और जमीन हड़पने के ऐसे हथकंडे अन्य जिलों में भी चल रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऑफिस के दो कर्मियों समेत 10 लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है. इससे निबंधन विभाग के अधिकारियों पर सवाल उठते हैं कि बिना उनकी सहमति के कर्मी कैसे मूल दस्तावेज गायब कर रहे हैं.

FIR के बाद भी सुस्ती

इस मामले में विभाग ने नगर थाने में FIR दर्ज करवाई, लेकिन दो दिन बीतने के बाद भी कोई आरोपी गिरफ्तार नहीं हुई. अररिया एसपी अंजनी कुमार ने कहा कि विभाग ने केस दर्ज करवाया है और जांच चल रही है. भूमि माफियाओं का जमीन हड़पने का फॉर्मूला अररिया के अलावा अन्य जिलों में भी धड़ल्ले से चल रहा है. रजिस्ट्री ऑफिस के दो कर्मियों समेत 10 पर FIR दर्ज हुई, लेकिन पुलिस सिर्फ जांच कर रही है. जिला प्रशासन FIR दर्ज कर निश्चिंत बैठ गया है.

सुरक्षा कवच पर सवाल

पहले भी भूमि माफियाओं के खिलाफ FIR दर्ज हुईं, लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में सवाल है कि माफियाओं के लिए सुरक्षा कवच कौन-कौन बने हुए हैं? बिहार में यह समस्या गंभीर है और आम लोगों की जमीनें खतरे में हैं. सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है.

तो बिहार में आपकी जमीन सुरक्षित नहीं!

अररिया का मामला सिर्फ एक जिले की कहानी नहीं, बल्कि पूरे बिहार के निबंधन तंत्र की कमजोर नस को उजागर करता है. जब रिकॉर्ड रूम ही सुरक्षित नहीं और FIR के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है, तो आम नागरिक अपनी जमीन कैसे सुरक्षित रखे? सवाल यह भी है कि माफियाओं को संरक्षण देने वाले चेहरे कौन हैं, यदि सरकार ने जल्द सख्त कदम नहीं उठाए, तो जमीन की लूट कागजों पर ही पूरी हो जाएगी- और असली मालिक दर-दर भटकते रहेंगे.

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Vijay jha

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First Published :

December 20, 2025, 10:44 IST

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