Last Updated:December 20, 2025, 09:13 IST
Terror Camps Exposed in Bangladesh : बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद हालात तेजी से बदले हैं और पाकिस्तान समर्थित आतंकी नेटवर्क एक बार फिर जमीन मजबूत करते दिख रहे हैं. खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, यह खतरा अब सिर्फ बांग्लादेश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भारत की सीमाओं तक उसकी आहट सुनाई देने लगी है.
बांग्लादेश में पाकिस्तान समर्थित आतंकी कैंप सक्रिय, भारत की सीमा पर बढ़ा खतरा और अलर्ट.नई दिल्ली/किशनगंज. शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में कट्टरपंथी संगठनों की गतिविधियां तेज हो गई हैं. खुफिया एजेंसियों के अनुसार, देश के अलग-अलग हिस्सों में कम से कम आठ आतंकी ट्रेनिंग कैंप सक्रिय हैं, जिनमें से तीन भारत की दक्षिण-पूर्वी सीमा के बेहद करीब स्थित हैं. ये कैंप पाकिस्तान समर्थित नेटवर्क, कट्टरपंथी संगठनों और अंतरराष्ट्रीय आतंकी विचारधाराओं की मदद से संचालित किए जा रहे हैं, इससे भारत की सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह अलर्ट मोड में आ गई हैं.
खुफिया रिपोर्ट्स ने बढ़ाई भारत की चिंता
चिट्टागोंग हिल ट्रैक्ट्स इलाके में जमातुल अंसार फिल हिंदाल का कैंप सक्रिय है. इसे शमीन महफुज जैसे कट्टरपंथी नेटवर्क का समर्थन मिल रहा है. रिपोर्ट्स में दावा है कि इस ग्रुप के केएनएफ और अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) से संपर्क हैं. यह इलाका त्रिपुरा और म्यांमार की सीमा के पास है जिससे खतरा बढ़ गया है. लोग सशंकित हैं. इसके अतिरिक्त, नदी किनारों और चार अन्य इलाकों में जमात-उल-मुजाहिदीन के ठिकाने हैं. बोगरा और चपाइ नवाबगंज में ISIS से प्रेरित नियो-JMB सबसे हिंसक ग्रुप माना जा रहा है. ये इलाके पश्चिम बंगाल के मालदा-मुर्शिदाबाद बेल्ट से सटे हैं. ढाका के रिहायशी हॉलों में हिज्ब-उत-तहरीर युवाओं की भर्ती कर रहा है और कट्टरपंथी विचार फैला रहा है और भर्ती की रफ्तार तेज हो गई है.
किन इलाकों में ये कैंप चल रहे हैं?
चिट्टागोंग के लालखान इलाके में एक कैंप अंसार अल-इस्लाम और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है. इसका संचालन हारुन इजहार और पाकिस्तानी सेना के पूर्व मेजर जिया कर रहे हैं. यह त्रिपुरा और मिजोरम की सीमा के पास है. बसिला और मोहम्मदपुर मदरसों में संदिग्ध गतिविधियां हैं, लेकिन वहां कौन से संगठन सक्रिय हैं, यह स्पष्ट नहीं. ढाका के तामीर-उल-मिल्लत मदरसा में इस्लामी छात्र संगठन शिविर और पाकिस्तान की ISI की भूमिका के संकेत मिले हैं. ये कैंप प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान समर्थित हैं, जिसमें जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन शामिल है.
पश्चिम बंगाल से सटे इलाकों में टेरर नेटवर्क
चिट्टागोंग हिल ट्रैक्ट्स में जमातुल अंसार फिल हिंदाल का कैंप शमीन महफुज का समर्थन पा रहा है. इसका केएनएफ और ARSA से लिंक है. नदी किनारों में जमात-उल-मुजाहिदीन, बोगरा-चपाइ नवाबगंज में नियो-JMB, और ढाका हॉलों में हिज्ब-उत-तहरीर सक्रिय है. तीन कैंप भारत की सीमा के बहुत नजदीक हैं, जिससे सीमा पार आतंकवाद का खतरा गहरा गया है. एजेंसी सूत्रों के मुताबिक, युवाओं की भर्ती तेज है. नदी किनारों और अन्य इलाकों में जमात-उल-मुजाहिदीन के ठिकाने हैं. बोगरा-चपाइ नवाबगंज में नियो-JMB हिंसक गतिविधियां कर रहा है.
ISI की परछाईं और पाकिस्तान कनेक्शन
खास बात है कि ये इलाके पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे हैं. ढाका हॉलों में हिज्ब-उत-तहरीर विचारधारा फैला रहा है. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने भी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों को छूट मिल रही है, जिससे पाकिस्तान समर्थित नेटवर्क मजबूत हो रहे हैं. यह सिर्फ बांग्लादेश नहीं, बल्कि भारत और पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरा है.
1971 की भूल दोहराने की कोशिश?
बांग्लादेश में उभरता यह आतंकी ढांचा सिर्फ आंतरिक सुरक्षा का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बनता जा रहा है. शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय की चेतावनी इस खतरे की गंभीरता को और स्पष्ट करती है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तान 1971 के इतिहास से सबक लेना भूल चुका है और एक बार फिर पुराने रास्ते पर लौटने की कोशिश कर रहा है. आने वाले समय में भारत-बांग्लादेश सहयोग और सतर्कता ही इस खतरे की काट बन सकती है.
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Location :
Kishanganj,Bihar
First Published :
December 20, 2025, 09:13 IST

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