1 लाख के कर्ज को साहूकार ने बना दिया 74 लाख, क्‍या देश में जायज है सूदखोरी

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Last Updated:December 18, 2025, 17:38 IST

Unregulated Lending : सूदखोरों से पाला तो आपका भी पड़ा होगा, लेकिन क्‍या आपको पता है कि इसे लेकर देश में कई तरह के कानून भी बने हुए हैं. केंद्र सरकार ने इस पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए नया कानून बनाने की कवायद भी शुरू कर दी है.

1 लाख के कर्ज को साहूकार ने बना दिया 74 लाख, क्‍या देश में जायज है सूदखोरीदेश में सूदखोरी के खिलाफ नया कानून प्रस्‍तावित है.

नई दिल्‍ली. सूद पर पैसे बांटने और कर्जधारक पर जुल्‍म ढाने वाले साहूकारों की तो बहुत सी फिल्‍में आपने देखी होंगी. लेकिन, फिल्‍मी कहानियों से ज्‍यादा खौफनाक सच्‍चाई महाराष्‍ट्र के चंद्रपुर जिले में सामने आई है. जहां एक साहूकार ने किसान को 1 लाख रुपये का कर्ज दिया और सूद जोड़कर उसे 70 लाख रुपये बना दिया. किसान जब कर्ज नहीं चुका पाया तो साहूकार ने उसकी किडनी निकालकर बेच दी. अब सवाल ये उठता है कि क्‍या आज भी देश में सूदखोरी जायज है या फिर इसके खिलाफ कोई कानून बना हुआ है. अगर कानून है तो उसमें सजा या जुर्माने का क्‍या प्रावधान किया गया है.

कानून की जानकारी देने से पहले इस मामले पर नजर डालते हैं. महाराष्‍ट्र के इस किसान ने सिर्फ 1 लाख का कर्ज साहूकार से लिया था. इस पर रोजाना 10 हजार रुपये का ब्‍याज लगाया जा रहा था. इस 1 लाख के कर्ज को चुकाने के लिए किसान ने अपनी 2 एकड़ जमीन बेच दी, ट्रैक्‍टर और अन्‍य कीमती सामान भी बेच डाले. आखिर में अपनी किडनी भी 8 लाख रुपये में बेच दी, लेकिन न तो साहूकारों का कर्ज खत्‍म हुआ और न ही उनका जुल्‍म. पीडि़त किसान ने पुलिस में शिकायत भी दी, लेकिन हुआ कुछ नहीं. अब इस परिवार ने सरकार के न्‍याय की गुहार लगाते हुए परिवार सहित आत्‍मदाह की चेतावनी दी है.

क्‍या है सूदखोरी पर भारत में कानून
अभी तक देश में ब्‍याज पर पैसे बांटना अवैध या गैरकानूनी नहीं बनाया गया है. हालांकि, इसके राज्‍यों के मनी लेंडर्स एक्‍ट और केंद्र के अस्‍यूरियस लोन एक्‍ट, 1918 से नियंत्रित किया जाता है. सूदखोरी को बंद नहीं किया गया है, लेकिन ज्‍यादा ब्‍याज लगाने जैसे मामलों में सिविल कोर्ट में शिकायत की जा सकती है, जहां कोर्ट ब्‍याज दरें कम कर सकता है या फिर लेनदेन को ही रद्द कर सकता है. हालांकि, इन प्रावधानों के बावजूद आपराधिक सजा बेहद सीमित है.

क्‍या कहता है केंद्र का कानून
केंद्र सरकार का अस्‍यूरियस लोन एक्‍ट (Usurious Loans Act) 1918 निजी उधारकर्ताओं पर ही लागू होता है. अगर कोई सूदखोर अत्‍यधिक ब्‍याज वसूलता है या अनुचित लेनदेन करता है तो शिकायत के बाद कोर्ट ऐसे मामले में अतिरिक्‍त ब्‍याज को माफ कर सकता है या फिर ज्‍यादा वसूले गए ब्‍याज को वापस लौटाने का आदेश दे सकता है. कोर्ट अपनी तरफ से ब्‍याज भी निर्धारित कर सकता है, लेकिन यह सारी राहत सिविल श्रेणी की होगी, जहां आपराधिक सजा नहीं दी जा सकती है.

क्‍या कहते हैं राज्‍यों के कानून
महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्‍यों के मनी लेंडर्स एक्‍ट के मुताबिक यहां कर्ज बांटने का कारोबार शुरू करने से पहले लाइसेंस लेना जरूरी होता है. अगर लाइसेंस नहीं है तो जुर्माने के साथ 3 महीने से लेकर 3 साल तक जेल हो सकती है. कर्नाटक में तो सालाना 18 फीसदी से ज्‍यादा ब्‍याज को अवैध माना गया है. केरल में तो ऐसे मामलों में 3 साल की कैद और 5 हजार रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है.

कब दर्ज होता है आपराधिक मामला
अगर अवैध कर्ज बांटने के मामले में सूदखोरों की ओर से उत्‍पीड़न किया जाता है तो आपराधिक मामला दर्ज करा सकते हैं. इसमें आईपीसी की धारा 384, 506 के तहत 7 से लेकर 10 साल तक की जेल हो सकती है. आईपीसी के तहत सूदखोरी को अपराध नहीं है, लेकिन वसूली के लिए धमकी, मारपीट या अन्‍य उत्‍पीड़न किए जाने पर मामला दर्ज कराया जा सकता है और तब सजा का प्रावधान भी है. जैसा कि महाराष्‍ट्र के इस किसान के मामले में हुआ है.

नया कानून बना रही सरकार
केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर महीने में सूदखोरी को रोकने के लिए नया कानून बनाने की कवायद शुरू की थी. इसके लिए सरकार ने Banning of Unregulated Lending Activities (BULA) Bill का मसौदा भी जारी किया है. इस मसौदे के तहत अनियमित कर्ज बांटने पर 2 से 7 साल तक जेल और 2 लाख से 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है. अगर गैरकानूनी वसूली की या उत्‍पीड़न किया तो 3 से 10 साल की सजा भी हो सकती है. ऐसे मामलों में लोन राशि का दोगुना जुर्माना भी लग सकता है. फिलहाल यह प्रस्‍तावित है और अभी तक लागू नहीं किया जा सका है. इसके लागू होने के बाद अनियमित उधार पर रोक लगाई जा सकेगी.

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Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

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New Delhi,Delhi

First Published :

December 18, 2025, 17:38 IST

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