Last Updated:December 18, 2025, 20:14 IST
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मॉडल टाउन में चल रहे एक अवैध अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. ये शातिर ठग एप्पल टेक सपोर्ट (Apple Tech Support) के नाम पर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाते थे. आरोपी पहले रिमोट एक्सेस के जरिए डेटा चोरी करते और फिर पीड़ितों को डराकर बिटकॉइन (Bitcoin) के रूप में लाखों की ठगी करते थे. पुलिस ने 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक एमबीए (MBA) पास युवक भी शामिल है. मौके से भारी मात्रा में लैपटॉप और मोबाइल बरामद हुए हैं.
एमबीए पास शख्स दिल्ली में बैठकर अमेरिकियों को लगा रहा था चूना.नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट का पर्दाफाश किया है, जो अमेरिकी नागरिकों की जेब पर डाका डाल रहा था. साइबर सेल ने गुजरांवाला टाउन की एक रिहायशी सोसाइटी में चल रहे इस अवैध कॉल सेंटर पर छापेमारी कर 7 गुर्गों को गिरफ्तार किया है. यह गिरोह खुद को एप्पल टेक्निकल सपोर्ट बताकर बिटकॉइन (Bitcoin) के जरिए करोड़ों रुपये अब तक डकार चुका है.
पुलिस जांच में सामने आया कि यह अवैध कॉल सेंटर पिछले चार महीने से एक शानदार फ्लैट से चलाया जा रहा था. अपराधियों ने बड़ी चालाकी से तकनीक का इस्तेमाल किया था. उनके काम करने का तरीका इतना पेचीदा था कि आम आदमी आसानी से उनके जाल में फंस जाता था.
हाई-टेक तरीके से रची गई साजिश
आरोपी ‘माइक्रो सिप’ सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते थे. जब कोई अमेरिकी नागरिक एप्पल के टोल-फ्री नंबर पर मदद के लिए फोन करता तो ये कॉल डायवर्ट होकर दिल्ली के इस सेंटर पर आती थी. खुद को एप्पल एग्जीक्यूटिव बताकर ये ठग पीड़ितों को विश्वास में लेते और उनके डिवाइस पर रिमोट एक्सेस एप्लीकेशन इंस्टॉल करवा देते. एक बार कंप्यूटर या फोन का कंट्रोल मिलने के बाद, ये उनका निजी डेटा और बैंकिंग जानकारी चोरी कर लेते थे.
बिटकॉइन बना लूट का हथियार
ठगी का अगला चरण सबसे खतरनाक था. आरोपियों की एक दूसरी टीम खुद को बैंक अधिकारी बताकर पीड़ित को फोन करती थी. वे उन्हें डराते थे कि उनका खाता खतरे में है और बचने का एकमात्र रास्ता अमेरिका में स्थित बिटकॉइन कियोस्क से क्रिप्टोकरंसी खरीदना है. अंत में, वे पीड़ित से बिटकॉइन वॉलेट की ‘प्राइवेट की’ या क्यूआर कोड हासिल कर लेते और सारा पैसा अपने वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते.
पढ़े-लिखे नौजवान अपराध की राह पर
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सबसे हैरान करने वाला नाम उत्तम नगर के मयंक कुमार का है, जिसने फाइनेंस में एमबीए किया है. वह वहां टेली-कॉलर के रूप में काम कर रहा था. गिरोह के अन्य सदस्य अमन सिंह और जनप्रीत सिंह सुपरवाइजर और बैंकर की भूमिका निभाते थे, जो बिटकॉइन ट्रांजैक्शन को हैंडल करते थे. बाकी आरोपी मयंक, दीपांशु, करण कपूर और अमन प्रसाद अमेरिकी लहजे में बात कर लोगों को फंसाने का काम करते थे.
दिल्ली पुलिस ने बरामद किए 16 स्मार्टफोन
दिल्ली पुलिस के साइबर सेल के डीसीपी आदित्य गौतम ने बताया कि इंस्पेक्टर सुभाष चंद्रा के नेतृत्व में की गई इस छापेमारी में 7 हाई-एंड लैपटॉप, 16 स्मार्टफोन, वीओआईपी डिवाइस और भारी मात्रा में अमेरिकी नागरिकों का बैंकिंग डेटा बरामद हुआ है. पुलिस को मौके से कई बिटकॉइन वॉलेट की चाबियां और क्यूआर कोड भी मिले हैं, जिनका इस्तेमाल पैसा हड़पने के लिए किया जाता था.
दिल्ली पुलिस अब इस नेटवर्क के ऊपरी आकाओं की तलाश कर रही है. यह भी जांच की जा रही है कि क्या इस गिरोह के तार अन्य देशों के साइबर अपराधियों से भी जुड़े हैं. क्राइम ब्रांच का कहना है कि इस कार्रवाई से भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुधरेगी, क्योंकि ऐसे कॉल सेंटर दुनियाभर में देश की बदनामी का कारण बनते हैं.
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रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
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New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
December 18, 2025, 20:14 IST

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