नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को अनोखा पल देखने को मिला. दरअसल कोर्ट रूम में खड़ा एक युवक खुद अपनी पैरवी कर रहा था. इसी दौरान वह अचानक भावुक हो उठा. उसकी आवाज कांप रही थी, आंखें भर आई थीं और सामने बैठे थे देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत. इस दौरान CJI ने जो कुछ टिप्पणी की वह दिल छू लेने वाला था.
यह मामला किसी बड़े संवैधानिक विवाद का नहीं था, बल्कि एक आम आदमी की उस लड़ाई का था. जो सिस्टम की जटिलताओं में कहीं खो गई थी. CJI सूर्यकांत ने न सिर्फ उसकी बात सुनी, बल्कि तुरंत मदद का भरोसा देकर यह संदेश भी दिया कि सुप्रीम कोर्ट आज भी आम आदमी की आखिरी उम्मीद है.
क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता ‘पार्टी इन पर्सन’ के तौर पर कोर्ट के सामने पेश हुआ था. उसने बेंच को बताया कि उसकी याचिका पहले सिर्फ इसलिए खारिज हो गई, क्योंकि वह तकनीकी खामियां यानी डिफेक्ट्स समय पर ठीक नहीं कर सका. युवक ने कहा कि पिता की मौत के बाद उसके चाचा ने उसके खिलाफ कई केस दर्ज करवा दिए, अब उसके खिलाफ वारंट भी जारी हो चुके हैं और उसकी अपील भी खारिज हो चुकी है.
CJI सूर्यकांत का मानवीय रुख
याचिकाकर्ता की बात सुनते ही CJI सूर्यकांत ने बिना देर किए कहा, ‘हम आपको लीगल एड काउंसल अलॉट करेंगे. इन्हें तुरंत कानूनी मदद दी जाए. हम आपका केस कल ही लिस्ट करेंगे.’ यह सुनते ही युवक खुद को संभाल नहीं पाया और भावुक होकर बोला, ‘मैंने कभी रोया नहीं था. थैंक यू सर.’
‘आप अच्छा तर्क रखते हैं’
कोर्ट का माहौल उस वक्त और भी मानवीय हो गया, जब CJI सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता का हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘आपने लॉ पढ़ी है और आप अच्छा आर्ग्यू करते हैं. थोड़ी प्रैक्टिस के साथ आप और बेहतर करेंगे. गॉड ब्लेस यू.’ यह शब्द सिर्फ एक जज के नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक के थे.
क्यों खास था यह पल?
सुप्रीम कोर्ट में रोज सैकड़ों मामले सुने जाते हैं, लेकिन ऐसे पल कम ही आते हैं जब कोर्ट की मानवीय छवि खुलकर सामने आती है. यह घटना बताती है कि अदालत सिर्फ फाइलों और तारीखों की जगह नहीं, बल्कि उन लोगों की भी है जो न्याय पाने की उम्मीद लेकर वहां पहुंचते हैं.
लीगल एड क्या है और क्यों जरूरी?
भारत में मुफ्त कानूनी सहायता संविधान के अनुच्छेद 39A की आत्मा है. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति सिर्फ पैसों की कमी की वजह से न्याय से वंचित न रहे. इसी व्यवस्था के तहत CJI सूर्यकांत ने तुरंत लीगल एड काउंसल नियुक्त करने का आदेश दिया.
कौन देता है मुफ्त कानूनी मदद
फ्री लीगल एड की जिम्मेदारी नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) और उससे जुड़ी संस्थाओं की होती है. सुप्रीम कोर्ट में यह काम सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी (SCLSC) करती है. जरूरतमंद व्यक्ति को वकील, कानूनी सलाह और कोर्ट से जुड़ी अन्य सुविधाएं मुफ्त दी जाती हैं.
कौन होता है लीगल एड का हकदार
महिलाएं, बच्चे, SC/ST वर्ग के लोग, गरीब, कैदी, आपदा पीड़ित और तय आय सीमा के भीतर आने वाले लोग लीगल एड के पात्र होते हैं. खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में यह मदद केस के किसी भी चरण में मिल सकती है.
क्यों भरोसा जगाती है यह घटना
यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. लोग इसे न्यायपालिका की संवेदनशीलता और संविधान की सच्ची भावना का उदाहरण बता रहे हैं. यह घटना बताती है कि कानून कितना भी कठिन क्यों न हो, इंसानियत की जगह हमेशा बनी रहती है.

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