Last Updated:December 18, 2025, 21:48 IST
Pakistan Crisis : पाकिस्तान सरकार ने बढ़ती महंगाई और जनसंख्या वृद्धि से निपटने के लिए कांडम सहित अन्य गर्भ निरोधक वस्तुओं पर जीएसटी घटाने का प्रस्ताव भेजा, जिसे आईएमएफ ने ठुकरा दिया है. बिना आईएमएफ की अनुमति के पाकिस्तान कोई आर्थिक फैसला नहीं कर सकता है.
पाकिस्तान पर जनसंख्या और महंगाई वृद्धि का एकसाथ दबाव बढ़ गया है. नई दिल्ली. गरीबी, भुखमरी और कर्ज संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश पाकिस्तान पर एक और मुसीबत आन पड़ी है. पाकिस्तान को लगातार कर्ज बांट रही अंतरराष्ट्रीय संस्था आईएमएफ ने सरकार के जीएसटी दरों में कटौती के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. पाकिस्तान सरकार ने गुहार लगाई थी कि उसकी जनसंख्या दर तेजी से बढ़ रही है और इस पर लगाम कसने के लिए गर्भ निरोधक उपायों जैसे कांडम और गोलियों की कीमतें घटाना पड़ेगा. लेकिन, आईएमएफ ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. सवाल उठता है कि आखिर पाकिस्तान में ऐसी नौबत क्यों आई कि आईएमएफ उसके आंतरिक मामलों में दखल देने लगा. इसका जवाब बाद में, पहले समझते हैं कि पाकिस्तान पर यह कांडम संकट आखिर क्यों बढ़ता जा रहा.
दरअसल, पाकिस्तान इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा जनसंख्या वृद्धि दर का सामना कर रहा है. साथ ही उसकी महंगाई दर भी बढ़ती जा रही. जाहिर है कि इस महंगाई का असर कांडम जैसे गर्भ निरोधक उपायों पर भी पड़ रहा है. अब जिस देश में खाने के लाले पड़े हैं, वहां जनता पहले दो जून की रोटी का इंतजाम करेगी या फिर जनसंख्या नियंत्रण के उपायों के पीछे भागेगी. इस मुसीबत से बचने के लिए शहबाज शरीफ की सरकार ने आईएमएफ से कांडम सहित अन्य गर्भ निरोधक उपायों वाली वस्तुओं पर जीएसटी दरें घटाने की सिफारिश की थी. लेकिन, आईएमएफ ने इससे साफ इनकार कर दिया और कहा कि ऐसी किसी भी राहत पर विचार अगले वित्तवर्ष में ही किया जा सकता है.
कितना लगता है कांडम पर जीएसटी
पाकिस्तान आधारित न्यूज पोर्टल ‘द न्यूज’ की मानें तो अभी वहां कांडम पर 18 फीसदी जीएसटी देना पड़ता है, लिहाजा इसकी कीमत आम आदमी के लिहाज से ज्यादा पड़ती है. अब जबकि आईएमएफ ने इसमें किसी भी कटौती से साफ इनकार कर दिया है तो पड़ोसी देश को इस समस्या के हल के लिए अन्य विकल्पों पर निर्भर रहना होगा. आईएमएफ ने कहा है कि ऐसे किसी भी राहत उपायों पर चर्चा आगामी बजट में ही की जा सकती है, उससे पहले नहीं.
पाकिस्तान पर आईएमएफ का दबाव क्यों
पाकिस्तान में चीजें सस्ती नहीं होंगी, इससे भी बड़ा सवाल ये है कि आखिर पड़ोसी देश के आंतरिक मामलों में आईएमएफ की इतनी क्यों चल रही है. इसका जवाब है कि पाकिस्तान अभी आईएमएफ के बेलआउट प्रोग्राम के तहत निगरानी में है. इसकी वजह से आईएमएफ ने पाकिस्तान के टैक्स, खर्च और रेवेन्यू, इन सभी पर सख्त कंडीशन लगा दी है. जाहिर है कि पाकिस्तान को इससे जुड़ी चीजों पर फैसला लेने से पहले आईएमएफ से बातचीत करनी पड़ती है. यही वजह है कि पाकिस्तान सरकार चाहकर भी अपने देश में कांडम की कीमतें नहीं घटा सकती है.
आईएमएफ ने क्यों किया इनकार
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के फाइनेंस विभाग ने ईमेल के जरिये आईएमएफ के वॉशिंगटन स्थित हेडक्वार्टर से जीएसटी घटाने की अनुमति मांगी. लेकिन, आईएमएफ इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि इस कदम से पाकिस्तान के रेवेन्यू पर असर पड़ता. आईएमएफ का अनुमान है कि जीएसटी की कटौती के कारण पाकिस्तान के राजस्व में 40 से 60 करोड़ रुपये की गिरावट आ सकती है. पाक पीएम शहबाज शरीफ के साथ वर्चुअल मीटिंग के दौरान भी आईएमएफ के अधिकारियों ने इस कदम से इनकार कर दिया.
आईएमएफ के लक्ष्य से दूर है पाकिस्तान
आईएमएफ ने अपने जवाब में साफ कहा कि पाकिस्तान की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती है, क्योंकि वित्तवर्ष के बीच में टैक्स में राहत देना संभव नहीं है. खासकर तब जबकि पाकिस्तान पहले ही रिवाइज रेवेन्यू टार्गेट से पीछे चल रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आईएमएफ ने सिर्फ गर्भ निरोधक वस्तुओं पर ही नहीं, बल्कि सैनिटरी पैड और बच्चों के डायपर पर भी जीएसटी घटाने से इनकार कर दिया है.
कितनी है पाकिस्तान की जनसंख्या वृद्धि दर
पाकिस्तान के लिए यह मामला इतना गंभीर क्यों है और आगे इससे कितने खतरे पैदा हो सकते हैं, इसका अंदाजा पड़ोसी देश की जनसंख्या वृद्धि दर को देखकर ही लगाया जा सकता है. पाकिस्तान की जनसंख्या वृद्धि दर 2.55 फीसदी है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है, क्योंकि इस दर के हिसाब से पाकिस्तान की जनसंख्या हर साल 60 लाख से भी ज्यादा बढ़ जाती है. वह भी तब जबकि पाकिस्तान की आर्थिक नीतियां पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं और देश पूरी तरह आईएमएफ के कर्ज और राहत पैकेज पर टिका हुआ है. आईएमएफ ने पिछले दिनों पाकिस्तान पर 11 नई कंडीशन लगा दी है, जिसके तहत 7 अरब डॉलर को बेलआउट प्रोग्राम शुरू किया है. इसकी वजह से पिछले 18 महीनों में पाकिस्तान पर आईएमएफ ने 64 तरह की अनुपालन नीतियां लागू कर दी हैं.
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प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi
First Published :
December 18, 2025, 21:48 IST

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