Last Updated:December 18, 2025, 19:27 IST
Job vs AI : आईटी मंत्रालय के सचिव ने पहली बार खुले मंच से कहा है कि एआई की वजह से नौकरियों पर खतरा बढ़ रहा है. खासकर ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों को इससे अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है.
ऑफिस में काम करने वालों की नौकरियों पर एआई की वजह से ज्यादा खतरा है. नई दिल्ली. आर्टिफिशिलय इंटेलीजेंस यानी एआई से नौकरियों पर बढ़ रहे खतरे को लेकर अभी तक दबे मुंह होने वाली बातें अब खुले मंच से की जाने लगी हैं. इस बार तो सीधे सरकारी प्रतिनिधि ने एआई से नौकरियों पर खतरे की बात उजागर की है. उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि एआई से सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों की नौकरियों पर है, जो ऑफिस में बैठकर काम करते हैं. अब एआई ने ऐसे सेक्टर पर अपना प्रभाव सबसे ज्यादा छोड़ना शुरू कर दिया है, जहां स्मार्ट वर्क की जरूरत होती है.
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई) से कार्योंलयों में काम करने वालों की नौकरियों को सबसे अधिक खतरा है. उद्योग मंडल फिक्की के ‘एआई इंडिया’ सम्मेलन में कृष्णन ने कहा कि चूंकि एआई अब सीधे तौर पर सोच-विचार कर किए जाने वाले और विश्लेषण से जुड़े कार्यों को चुनौती दे रहा है, लिहाजा कार्योलयों में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी पर सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है.
पिछली औद्योगिक क्रांति से सबक लें
सचिव ने कहा कि पिछली औद्योगिक क्रांतियों को देखें तो जिस तरह के बदलाव लाए गए, उनमें से अधिकतर बदलाव शारीरिक जरूरतों से जुड़े थे. इसका मतलब है कि इंसानों की जगह ऑटोमेटिक मशीनों से काम कराने को लेकर ज्यादा बदलाव हुए हैं. अब पहली बार एआई वास्तव में सोच-समझ कर किए जाने वाले काम की जगह ले रहा है. लिहाजा जो लोग सोच-विचार से जुड़े या विश्लेषण से जुड़े काम करते हैं, उन्हीं की नौकरी पर एआई की वजह से सबसे अधिक खतरा है. इस बार लड़ाई शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक बदलाव को लेकर है.
खतरे के बावजूद जरूरी है एआई
कृष्णन ने नौकरियों पर बढ़ते के खतरे के बावजूद विशेष रूप से भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादकता बढ़ाने में एआई की महत्वपूर्ण क्षमता पर जोर दिया. उन्होंने तर्क दिया कि कौशल विकास के माध्यम से नए रोजगार के अवसर उत्पन्न करने की क्षमता, वर्तमान में नौकरियों को हो रहे नुकसान से कहीं अधिक है. सचिव ने कहा कि कई कंपनियों के लिए तात्कालिक प्रलोभन यह हो सकते हैं कि वे शुरुआती सफलताओं पर ध्यान दें और भविष्य में आने वाली दीर्घकालिक समस्याओं को भूल जाएं. लेकिन, सरकार के रूप में हम इस मामले के दोनों पहलुओं को लेकर चिंतित हैं.
प्रभाव से सरकार चिंतित लेकिन बदलाव जरूरी
सचिव ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम नौकरियों पर पड़ रहे असर को लेकर चिंतित नहीं हैं लेकिन हमारा मानना है कि नए क्षेत्रों में नए प्रकार की नौकरियों के सृजन के अवसर इससे कहीं अधिक है. हालांकि, यह मुख्य रूप से कौशल विकास, उन्नत कौशल विकास और प्रतिभा विकास के माध्यम से ही संभव है. यह एक ऐसा कार्य है जो हम सभी के लिए समान है. यह केवल सरकार का काम नहीं है, यह केवल किसी उद्योग का काम नहीं है. इस प्रक्रिया में कई हितधारक शामिल होंगे और सभी को अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभानी होगी.
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प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 18, 2025, 19:27 IST

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