क्या माइनिंग के लिए अरावली की परिभाषा में बदलाव किया गया?

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Last Updated:December 21, 2025, 20:38 IST

Aravalli : सरकार ने 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले इलाकों में खनन की इजाजत देने के दावे को गलत बताया और कहा कि यह रोक पूरी पहाड़ी प्रणाली और उसके अंदर की सभी भू-आकृतियों पर लागू होती है, सिर्फ शिखर या ढलान पर नहीं. सरकार ने कहा कि यह मानना गलत है कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली सभी जगहें खनन के लिए खुली हैं.

क्या माइनिंग के लिए अरावली की परिभाषा में बदलाव किया गया?सरकार ने कहा कि अरावली का 90% से ज्यादा हिस्सा संरक्षित क्षेत्र है. (एएनआई)

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने रविवार को उन खबरों को गलत बताया जिनमें कहा गया था कि बड़े पैमाने पर खनन की इजाजत देने के लिए अरावली पर्वतमाला की परिभाषा में बदलाव किया गया है. सरकार ने बताया कि अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है. इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई परिभाषा से पर्वतीय क्षेत्र की सुरक्षा मजबूत होती है और जब तक नई प्रबंधन योजना नहीं बनती, तब तक नए खनन पट्टों पर रोक रहेगी. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की परिभाषा से अरावली का 90% से ज्यादा हिस्सा संरक्षित क्षेत्र में आ जाएगा.

सरकार ने ‘100 मीटर’ के नियम को लेकर चल रहे विवाद पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अरावली पहाड़ियों की परिभाषा सभी राज्यों में एक जैसी कर दी गई है ताकि कोई भ्रम या गलत इस्तेमाल न हो सके, खासकर उन मामलों में जहां पहाड़ियों के पास खनन जारी रहता था. पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अरावली में अवैध खनन से जुड़े पुराने मामलों की सुनवाई करते हुए मई 2024 में एक समिति बनाई थी, जो एक समान परिभाषा सुझाए. इस समिति में राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली के साथ तकनीकी संस्थाओं के लोग भी हैं. समिति ने पाया कि सिर्फ राजस्थान में ही 2006 से एक तय परिभाषा है.

इस परिभाषा के मुताबिक, जो भू-आकृति आसपास की जमीन से 100 मीटर या ज्यादा ऊंची है, उसे पहाड़ी माना जाता है और ऐसी पहाड़ियों की सबसे निचली सीमा के अंदर खनन मना है, चाहे ऊंचाई या ढलान कुछ भी हो. सूत्रों के मुताबिक, चारों राज्य राजस्थान की इस परिभाषा को अपनाने पर राजी हो गए हैं और इसमें पारदर्शिता के लिए कुछ और सुरक्षा उपाय भी जोड़े गए हैं. इन उपायों में 500 मीटर के अंदर की पहाड़ियों को एक ही श्रृंखला मानना, खनन से पहले भारतीय सर्वेक्षण विभाग के नक्शों पर पहाड़ियों का चिन्हांकन और मुख्य व संरक्षित क्षेत्रों की पहचान करना शामिल है.

सरकार ने 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले इलाकों में खनन की इजाजत देने के दावे को गलत बताया और कहा कि यह रोक पूरी पहाड़ी प्रणाली और उसके अंदर की सभी भू-आकृतियों पर लागू होती है, सिर्फ शिखर या ढलान पर नहीं. सरकार ने कहा कि यह मानना गलत है कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली सभी जगहें खनन के लिए खुली हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर 2025 को पर्यावरण मंत्रालय की समिति की अरावली पहाड़ियों की परिभाषा संबंधी सिफारिशें मान ली थीं.

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Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

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New Delhi,Delhi

First Published :

December 21, 2025, 20:38 IST

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