Last Updated:December 17, 2025, 13:45 IST
Prithviraj Chavan Operation Sindoor: कांग्रेस नेताओं को शायद विवादों में रहना अच्छा लगता है. यही वजह है कि पार्टी के दिग्गज नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिससे हंगामा खड़ा हो गया है. उन्होंने इंडियन एयरफोर्स और आर्मी को लेकर भी विचित्र बयान दिया है. अब सवाल उठता है कि पृथ्वीराज चव्हाण को इस तरह का बयान क्यों देना पड़ा? क्या उन्होंने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर ऐसी बयानबाजी की है? बता दें कि ये वही ऑपरेशन सिंदूर है, जिसने आसिम मुनीर की नींद उड़ा दी थी. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ दुनियाभर में जाकर शांति की भीख मांगने लगे थे.
Prithviraj Chavan Operation Sindoor: कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने ऑपरेशन सिंदूर पर विवादित बयान देकर खुद घिर गए हैं. (फाइल फोटो)Prithviraj Chavan Operation Sindoor: पहलगाम की बैसरन घाटी में निर्दोष पर्यटकों की निर्मम तरीके से हत्या ने भारत समेत पूरी दुनिया की रूह को हिलाकर रख दिया था. इस बर्बर हत्याकांड का बदला लेने और आतंकवादियों के साथ ही उसके पनाहगारों के मददगारों को कभी न भूलने वाला सबक सिखाने के लिए भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया. इसके तहत इंडियन आर्म्ड फोर्सेज ने पाकिस्तान और PoK में मौजूद आतंकवादियों के कई ठिकानों को तबाह कर दिया. पड़ोसी देश ने दुस्साहस करने की कोशिश की तो उसके सैन्य अड्डों पर अटैक कर तगड़ा नुकसान पहुंचाया. इसके लिए ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था. भारत के प्रचंड प्रहार से दुश्मन इस तरह दहल गया कि शांति की भीख मांगने लगा. पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कम्यूनिटी से संघर्षविराम की गुहार लगाने लगा. आखिरकार भारत ने अपनी शर्तों पर सीजफायर के लिए तैयार हुआ था. ऑपरेशन सिंदूर से भारतीय सुरक्षाबलों की हनक पूरी दुनिया में चल पड़ी. ग्लोबल लेवल पर दोस्त और दुश्मन भारत का लोहा मान रहे हैं तो कांग्रेस के दिग्गज नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने अपने ही रणबांकुरों पर सवाल उठा दिया है. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के पहले ही दिन भारत पूरी तरह से हार गया था. उनके इस बयान पर बवाल मच गया है. कांग्रेस नेता ने भारतीय वायुसेना और आर्मी पर भी सवाल उठाए हैं.
भारत की सैन्य कार्रवाइयों और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर जब भी राजनीतिक बयानबाज़ी होती है, तो उसका असर सिर्फ घरेलू राजनीति तक सीमित नहीं रहता, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका संदेश भी जाता है. ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की टिप्पणी ने ऐसा ही एक विवाद खड़ा कर दिया है. सवाल यह है कि जिस ऑपरेशन ने पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व, खासकर सेना प्रमुख आसिम मुनीर को बेचैन कर दिया, उसे हार करार देने से आखिर क्या हासिल होगा? ऑपरेशन सिंदूर भारत की उस रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन था, जिसमें सीमापार उकसावे का सटीक और सीमित जवाब दिया गया. इसका उद्देश्य न तो युद्ध को बढ़ावा देना था और न ही किसी क्षेत्र पर कब्ज़ा, बल्कि स्पष्ट संदेश देना था कि भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा. यही वजह है कि इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान के सैन्य और राजनीतिक हलकों में हलचल देखी गई और आसिम मुनीर जैसे शीर्ष सैन्य अधिकारी को भी स्थिति पर सार्वजनिक सफाई देनी पड़ी.
जिस ऑपरेशन सिंदूर ने आसिम मुनीर के होश उड़ा दिए, कांग्रेस नेता ने उसी पर सवाल उठा दिए हैं. (फाइल फोटो/AP)
सवाल पर गंभीर सवाल
पृथ्वीराज चव्हाण द्वारा इसे हार की संज्ञा देना कई सवाल खड़े करता है. क्या यह बयान सिर्फ सरकार की आलोचना तक सीमित है या इससे भारत की सैन्य सफलता पर ही सवालिया निशान लगाया जा रहा है? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विपक्ष का काम सरकार से सवाल पूछना और जवाबदेही तय करना है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर शब्दों का चयन बेहद सोच-समझकर किया जाना चाहिए. किसी भी सैन्य ऑपरेशन की सफलता को सिर्फ क्षेत्रीय लाभ या हताहतों की संख्या से नहीं आंका जाता. कई बार रणनीतिक संदेश, दुश्मन की मनोवैज्ञानिक स्थिति और भविष्य के खतरे को रोकना ही असली लक्ष्य होता है. ऑपरेशन सिंदूर के मामले में भी यही देखा गया, जहां भारत ने सीमित कार्रवाई के ज़रिये यह स्पष्ट कर दिया कि वह आतंकवाद और उकसावे को बर्दाश्त नहीं करेगा.
विश्वसनीयता पर सवाल
राजनीतिक स्तर पर देखें तो ऐसे बयानों से विपक्ष को अल्पकालिक सुर्खियां तो मिल सकती हैं, लेकिन दीर्घकाल में इससे उसकी विश्वसनीयता पर असर पड़ने का खतरा रहता है. जब एक तरफ़ पाकिस्तान में भारतीय कार्रवाई को लेकर चिंता और बेचैनी दिखाई दे और दूसरी तरफ़ देश के भीतर ही उसे हार बताया जाए, तो यह विरोधाभास आम जनता के मन में सवाल पैदा करता है. पूर्व सैन्य अधिकारियों का यह भी कहना है कि ऐसे बयान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के विरोधियों को दलील देने का मौका दे सकते हैं. वे यह कह सकते हैं कि खुद भारत के नेता ही अपनी सैन्य कार्रवाई को असफल मान रहे हैं. ऐसे में यह सिर्फ घरेलू राजनीति का मामला नहीं रह जाता, बल्कि कूटनीतिक चुनौती भी बन सकता है.
…फिर भी बयान पर अड़े पृथ्वीराज चव्हाण
पृथ्वीराज चव्हाण जैसे अनुभवी नेता से अपेक्षा की जाती है कि वे आलोचना करते समय व्यापक राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखें. सरकार की रणनीति, समय और निर्णय प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा सकते हैं, लेकिन पूरे ऑपरेशन को हार कहना कई लोगों को अतिशयोक्ति लग रहा है. आखिरकार सवाल यही है कि क्या ऐसे बयानों से विपक्ष को राजनीतिक लाभ मिलेगा, या इससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर बनी सहमति को नुकसान पहुंचेगा? जिस ऑपरेशन ने पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व की नींद उड़ा दी, उसे नकारने से शायद सरकार को घेरने का प्रयास किया जा रहा हो, लेकिन देशहित के नजरिये से यह बहस कहीं ज़्यादा गंभीर है. हालांकि, पृथ्वीराज चव्हाण पर शायद ही इसका असर पड़ा है. उन्होंने अपने बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘मुझे सवाल पूछने का पूरा अधिकार है. मैं माफी क्यों मांगूं? मैंने ऐसा क्या गलत कहा है?’
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बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 17, 2025, 13:41 IST

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