ट्रेनिंग के दौरान कैसे IAS और IPS अफसरों में हो जाता है प्यार,कर लेते हैं शादी

3 hours ago

भारत के आजाद होने के बाद से पहले तो ऐसा कम होता था लेकिन अब आईएएस और आईपीएस में आपस में प्यार और शादी में इजाफा हुआ है. आंकड़े भी इसकी तसदीक करते हैं. आखिर कैसे IAS-IPS और अन्य अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी ट्रेनिंग के दौरान एक-दूसरे से प्यार कर बैठते हैं. क्या इनमें आपस में बढ़ती शादियों की वजह कैडर भी होता है.

संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले IAS और IPS अधिकारी जब ट्रेनिंग के लिए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) मसूरी में आते हैं, तो ये वो जगह है जहां उनकी लव स्टोरीज शुरू होती हैं और वे शादी के बंधन में बंध जाते हैं.

ट्रेनिंग में नजदीकियां क्यों स्वाभाविक 

IAS, IPS, IFS या अन्य सेवाओं का चयन 23–30 वर्ष के बीच होना आम बात है. ये वो उम्र है जब लोग जीवन साथी को लेकर गंभीर होते हैं, समान सोच वाले लोगों से जल्दी जुड़ते हैं. ये समय उनके लिए ऐसा भी होता है कि वह यहां होते हुए करियर और जीवन के डायरेक्शन के बारे में भी सोचने लगते हैं. आमतौर पर इन सभी सेवाओं में ट्रेनिंग का फाउंडेशन कोर्स एक साथ लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA), मसूरी में होता है.

यहां ये सभी 90 से 120 दिनों तक एक साथ एक ही हॉस्टल में रहते हैं, तो क्लासेज से लेकर तमाम स्टडीज, ग्रुप्स और एक्टीविटीज में साथ रहने और काम करने का अवसर मिलता है, साथ में समय गुजारते हैं. ऐसे माहौल में स्वाभाविक रूप से दोस्ती गहरी हो जाती है और कई बार वह रिश्ते में बदल जाती है.

दोनों ही सेवाओं के अधिकारी देश की सबसे कठिन परीक्षा पास करके आते हैं, जिससे उनके बीच पेशेवर समानता और सम्मान की भावना होती है.

रिश्ते कैसे मजबूत हो जाते हैं

– समान सामाजिक-शैक्षणिक पृष्ठभूमि
– संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करके यहां आने वाले अधिकतर उम्मीदवारों में मेहनत का स्तर, सोचने की शैली, सामाजिक समझ और टैलेंट का स्तर एक जैसा होता है. ऐसे में इन सब बातों से कम्पैटिबिलीटी बहुत जल्दी बनती है. काम के नेचर को समझना आसान होता है. ये सभी एक दूसरे के काम और चुनौतियों को भी समझने लगते हैं.

आमतौर IAS और IPS अधिकारी की शादी में सबसे बड़ी चुनौती होती है. क्योंकि इनके लगातार ट्रांसफर होते हैं. समय की कोई निश्चित सीमा नहीं होती है. परिवार के लिए समय बहुत कम मिल पाता है. दिन और रात कभी भी काम का नेचर इंगेज कर सकता है.लेकिन ये बात भी है कि एक अधिकारी दूसरे की जिम्मेदारियों को अच्छी तरह समझता है, इसलिए इस शादी को “सस्टेनेबल” माना जाता है.

इसे अच्छा मैच क्यों मानते हैं

IAS और IPS कपल को अक्सर “पावर कपल” के रूप में देखा जाता है, जो समाज में बहुत अधिक सम्मान और प्रभाव रखते हैं. जनता इन्हें ‘रोल मॉडल’ के रूप में देखती है.

दोनों का एक जैसा स्टेटस होता है. इस मैच को समाज की स्वीकृति भी तुरंत मिलती है. परिवार भी यह मानता है कि “अच्छा मैच” मिल गया. सरकारी सेवा का सबसे सुरक्षा चक्र इस नौकरी के साथ लगा माना जाता है.

कब से हो रहीं ऐसी शादियां

आईएएस और आईपीएस की आपसी शादियां 1950 के दशक से हो रही हैं. जो अब काफी ज्यादा प्रचलन में हैं. 1950-60 के दशक में हुईं ऐसी कुछ शादियां.
– टी.एन. शेषन (IAS) और जयलक्ष्मी (IAS)
-वीरेश कुमार (IAS) और आरती आहूजा (IAS)
– यशवर्धन कुमार सिन्हा (IFS) और गीता भगत (IAS)
– अमरनाथ वर्मा (IAS) और उमेश कुमार (IAS)
इनकी लव मैरिज के कई मामले पुराने रिकॉर्ड में मिलते हैं, लेकिन वर्ष 2000 के बाद यह संख्या काफी बढ़ी है.

मशहूर IAS–IPS कपल्स जिनकी चर्चित लव स्टोरीज़ हैं

1. टीना डाबी (IAS) – अतहर आमिर (IAS) –1 ये दोनों 2015 के बैच में फाउंडेशन कोर्स के दौरान ही नजदीक आए. आपस में दोनों में प्यार हुआ. दोनों की शादी और प्यार बहुत चर्चित रहा लेकिन वर्ष 2018 में उनकी शादी के बाद उनमें तलाक भी हो गया. अब दोनों ने फिर से अलग शादियां कर ली हैं. टीना डाबी ने आआईएस अफसर प्रदीप गवांडे से वर्ष 2022 में शादी रचा ली. प्रदीप 2013 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. वहीं अतहर आमिर खान ने भी इस तलाक के बाद वर्ष 2022 में दूसरी शादी रचा ली. उन्होंने कश्मीर की रहने वाली डॉक्टर मेहरीन काजी से शादी कर ली.
2. पूजा और मनु महाराज (दोनों IPS) – दोनों IPS बिहार कैडर में हैं, ये ट्रेनिंग के दौरान मिले. मनु महाराज बिहार के सबसे लोकप्रिय IPS अधिकारियों में गिने जाते हैं.
3. चेतन तांबे (IAS) – अश्विनी वैद्यन (IAS) – दोनों कर्नाटक कैडर के. ये IAS दंपति ट्रेनिंग के दौरान ही करीब आए और फिर शादी की.
4. दीपक यादव (IPS) – प्रीति यादव (IPS) – दोनों MP कैडर के अधिकारी. ट्रेनिंग के समय से रिश्ता शुरू हुआ, शादी के बाद भी साथ काम करते दिखे.
5. आईएएस रश्मि कमल – IPS कमलदीप – लोगों की लव स्टोरी लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी की क्लासेस से शुरू हुई और फिर शादी में बदली.
6. IAS हर्ष मंगला – IAS अंजलि – UPSC टॉपर हर्ष मंगला और अंजलि की मुलाकात लाल बहादुर एकेडमी में ही हुई. दोनों ने शादी कर ली.
7. युवराज मरमट (IAS) और पी. मोनिका (IPS) – इन्होंने अपनी शादी में सादगी की अनूठी मिसाल पेश की. कोर्ट मैरिज में केवल ₹2000 खर्च किए.
8. सृष्टि देशमुख (IAS) और डॉ. नागार्जुन गौड़ा (IAS) – ये दोनों भी लाल बहादुर एकेडमी में मिले. ट्रेनिंग के करीब ढाई साल बाद शादी की.
9. डॉ. नवजोत सिमी (IPS) और तुषार सिंगला (IAS) – इन्होंने वैलेंटाइन डे के दिन तुषार सिंगला के कार्यालय में ही शादी कर ली थी.
इस तरह की शादियों के सैकड़ों रिकॉर्ड हैं. पिछले 75 सालों में ऐसी काफी शादियां हुई हैं.

क्या लाल बहादुर एकेडमी “मैट्रिमोनियल ग्राउंड” बन गया

कई सीनियर IAS अफसर मज़ाक में कहते हैं, कैडर से भी ज्यादा तेजी से लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी में अफसर कपल्स बन जाते हैं. हालांकि ये मजाक ही है. दरअसल इस एकेडमी में सभी का फाउंडेशन कोर्स एक साथ ही होता है. एक साथ 350–400 ट्रेनीज होते हैं. इसमें 10-15 फीसदी लोग आपस में शादी कर लेते हैं. ये संख्या अब बढ़ रही हैं. उसके कारण ये हो सकते हैं
– सोशल मीडिया से खुलापन बढ़ा
– प्रोफेशनल लाइफ एक जैसी
– कैडर अलॉटमेंट में पारदर्शिता.

क्या कैडर अलॉटमेंट भी लव स्टोरीज़ आगे बढ़ाता है

कई मौजूदा और पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारी मानते हैं कि ऐसा होता है. कुछ लोग मनमाफिक कैडर पाने के लिए भी ऐसा करते हैं. अगर दो अधिकारी शादी कर रहे हों, तो पहले सरकार उन्हें एक ही कैडर में रखने पर विचार करती थी. अब हालांकि ये नियम बदल गए हैं. लेकिन शादीशुदा दंपति केस-बाई-केस आधार पर एक ही राज्य में पोस्टिंग ले सकते हैं. ये लचीलापन रिश्तों को आगे बढ़ाने में मदद करता है.

सरकार ट्रेनिंग के दौरान ऐसे बनते रिश्तों पर कोई रोक नहीं लगाती बस अनुशासन की शर्त जरूर रहती है. हास्टल के टाइमिंग का पालन होता चाहिए. किसी भी तरह का अनचाहा व्यवहार सख्त वर्जित है. वैसे लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी प्रशासन निजी रिश्तों में दखल नहीं देता जब तक कि वे ट्रेनिंग को प्रभावित न करें.

शोध क्या कहती हैं

इसे लेकर कुछ शोध भी हुए हैं. शोध बताते हैं कि यूपीएससी की तैयारी का कठिन दौर इन अधिकारियों के सोचने के तरीके को एक जैसा बना देता है. ट्रेनिंग के दौरान वे एक-दूसरे के संघर्ष को समझते हैं, जो एक मजबूत भावनात्मक जुड़ाव पैदा करता है. हाल के वर्षों में हुए सामाजिक अध्ययनों में देखा गया कि पहले के दशकों में महिला अधिकारियों की संख्या कम थी, इसलिए ऐसे विवाह कम होते थे. जैसे-जैसे सेवाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ी, वैसे-वैसे बैच मेट मैरिज का प्रतिशत भी बढ़ा.

प्रशासनिक सुधारों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों ने इन शादियों के प्रभाव पर भी अध्ययन किया है. अध्ययन बताते हैं कि जब पति-पत्नी दोनों ब्यूरोक्रेसी में होते हैं, तो वे एक-दूसरे के काम के घंटों और तनाव को बेहतर समझते हैं, जिससे उनके निजी जीवन में कलह कम और समझदारी ज्यादा होती है. रिसर्च यह भी कहती है कि ‘ईगो क्लैश’ एक बड़ी चुनौती जरूर हो सकती है, खासकर जब दोनों एक ही जिले में तैनात हों और प्रोटोकॉल को लेकर स्थिति स्पष्ट न हो.

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