Bangladesh violence: उस्मान हादी नहीं रहा...टीवी पर जैसे ही मुहम्मद यूनुस ने दी खबर, बांग्लादेश में होने लगी हिंसा, 5 प्वाइंट्स में समझते हैं पूरी कहानी

14 hours ago

Bangladesh Violence Erupts After Student Leader Dies: बांग्लादेश में इन दिनों फिर से तनाव चरम पर है. 12 दिसंबर को छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी पर जानलेवा हमला हुआ, और 18 दिसंबर को सिंगापुर में उनकी मौत हो गई. जैसे ही अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने टीवी पर यह दुखद खबर दी, देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए और हिंसा भड़क उठी. आइए, 5 मुख्य प्वाइंट्स में समझते हैं पूरा मामला. 

छात्र नेता की मौत का सदमा, कैसे हुई मौत?: शरीफ उस्मान हादी 2024 के जुलाई विद्रोह के बड़े नेता थे और इंकिलाब मंच के प्रवक्ता थे और भारत-विरोधी बयानों के लिए जाने जाते थे. वे एंटी-इंडिया और एंटी-शेख हसीना के लिए मशहूर थे. 12 दिसंबर को ढाका के पल्टन इलाके में मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने उन्हें गोली मार दी. सिर में गोली लगी, हालत गंभीर हो गई. पहले ढाका मेडिकल कॉलेज, फिर एवरकेयर हॉस्पिटल में भर्ती किया गया. 15 दिसंबर को एयर एम्बुलेंस से सिंगापुर ले जाया गया. लेकिन 18 दिसंबर को सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, "डॉक्टर्स की पूरी कोशिश के बावजूद हादी अपनी चोटों से नहीं बच सके." यूनुस ने टीवी मौत की दी जानकारी, राजकीय शोक घोषित: नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस ने 18 दिसंबर की रात टीवी पर राष्ट्र को संबोधित किया. बोले, "बहुत दुखद खबर है. जुलाई विद्रोह के बहादुर फ्रंटलाइन फाइटर शरीफ उस्मान हादी अब हमारे बीच नहीं हैं." उन्होंने इसे राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति बताया. हत्यारों को जल्द पकड़ने का वादा किया, कहा "कोई रहम नहीं मिलेगा." अपील की, "धैर्य रखें, अफवाहों पर ध्यान न दें, जांच एजेंसियों को काम करने दें." यूनुस ने 20 दिसंबर को एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया. झंडे आधे झुकेंगे, जुम्मा की नमाज के बाद विशेष दुआएं होंगी. सरकार हादी की पत्नी और बच्चे की जिम्मेदारी लेगी. प्रदर्शन कैसे शुरू हुए: यूनुस की घोषणा के फौरन बाद ढाका का शाहबाग चौराहा प्रदर्शनकारियों से भर गया. हजारों लोग जमा हुए, प्लेकार्ड लहराए, नारे लगाए "हादी, हादी!" कई रिपोर्ट में बताया गया कि कई नारे एंटी-इंडिया थे, जैसे "भारतीय दखल तोड़ो!" लोग आरोप लगा रहे थे कि हमलावर भारत भाग गए. चटगांव में भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन पर पत्थर फेंके गए हैं. प्रदर्शन ढाका से राजशाही, चटगांव तक फैले. अखबारों के ऑफिस क्यों जलाए: गुस्सा मीडिया पर भी फूटा. करवान बाजार में प्रोथोम आलो के हेड ऑफिस पर हमला. प्रदर्शनकारी अंदर घुसे, तोड़फोड़ की, कागज-फर्नीचर बाहर फेंके और आग लगा दी. फिर पास के डेली स्टार ऑफिस में भी यही. मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि ऑफििस में धुआं भर गया, कई पत्रकार फंस गए. फायर ब्रिगेड ने घंटों बाद बचाया. सेना बाहर थी, लेकिन रोकने की कोशिश नहीं की. अब हालात कैसे और क्या है आगे का प्लान: यह हिंसा चुनाव से पहले हो रही है, जो शेख हसीना के हटने के बाद पहला बड़ा चुनाव होगा. यूनुस सरकार पर दबाव बढ़ गया है. कुछ जगहों पर आवामी लीग के दफ्तर भी फूंके गए हैं. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि राजनीतिक तनाव और बढ़ सकता है. दुनिया की नजरें बांग्लादेश पर हैं, क्योंकि स्थिरता खतरे में है. मीडिया रिपोर्ट्स से साफ है कि शांति की अपील के बावजूद हालात बेकाबू हैं. यह घटना बांग्लादेश की नाजुक राजनीति को दिखाती है. उम्मीद है जल्द शांति लौटे.

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