Last Updated:December 17, 2025, 17:42 IST
लोकसभा में ओम बिरला ने डॉ. जितेंद्र सिंह को नियमों का पाठ पढ़ाया. परमाणु ऊर्जा (संशोधन) विधेयक पर चर्चा के दौरान जब मंत्री जितेंद्र सिंह विपक्ष के सांसदों से बात कर रहे थे, तभी स्पीकर ने कहा-रुकिये. मैं सभी मंत्री महोदय से कहना चाहूंगा कि किसे बोलना है किसे नहीं, यह मैं तय करुंगा. आसन के काम में दखल न दीजिए.
ओम बिरला ने मंत्री जितेंद्र सिंह को टोका.संसद में स्पीकर ओम बिरला के अंदाज आपने भी देखे होंगे. अक्सर वे विपक्षी सांसदों को समझाते, उन्हें बिठाते नजर आते हैं. लेकिन बुधवार एक दिलचस्प वाकया लोकसभा में देखने को मिला, जब सदन के ‘हेडमास्टर’ यानी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपनी ही सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री को नियमों का पाठ पढ़ा दिया. मामला एटॉमिक एनर्जी अमेंडमेंट बिल पर चर्चा का था. केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह सदन में बिल पर जवाब दे रहे थे, तभी एक विपक्षी सांसद की टिप्पणी पर उन्होंने सीधे प्रतिक्रिया दे दी. इस पर स्पीकर ओम बिरला ने तुरंत हस्तक्षेप किया और मंत्री महोदय को नसीहत देते हुए साफ शब्दों में कहा, किसको बोलने का मौका देना है, यह काम मेरा है, आपका नहीं.
क्या था पूरा मामला?
सदन में परमाणु ऊर्जा विभाग का कार्यभार संभाल रहे केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ‘परमाणु ऊर्जा (संशोधन) विधेयक’ पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे. यह बिल भारत की ऊर्जा सुरक्षा और भविष्य की जरूरतों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है. मंत्री महोदय पूरे जोश और तर्कों के साथ सरकार का पक्ष रख रहे थे. वे समझा रहे थे कि कैसे यह संशोधन भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाएगा.
इसी दौरान, विपक्ष की बेंच से किसी सांसद ने बीच में कोई टिप्पणी . आमतौर पर संसद में जब कोई मंत्री बोल रहा होता है, तो विपक्षी सांसद सवाल या टिप्पणी करते हैं. नियम यह कहता है कि मंत्री को अपनी बात जारी रखनी चाहिए और केवल ‘आसन’ (Chair/Speaker) को संबोधित करना चाहिए. लेकिन, डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपना भाषण रोककर सीधे उस विपक्षी सांसद को जवाब देना शुरू कर दिया. संभवतः मंत्री जी उस सांसद को यह कह रहे थे कि वे बाद में बोलें या उन्हें बोलने दें.
स्पीकर का ‘क्लास’ लेना
जैसे ही केंद्रीय मंत्री ने विपक्षी सांसद को टोकने या उन्हें निर्देशित करने की कोशिश की, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें बीच में ही रोक दिया. ओम बिरला, जो सदन में अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्त लेकिन मजाकिया लहजे के लिए जाने जाते हैं, ने मंत्री जितेंद्र सिंह को याद दिलाया कि सदन का नियंत्रण किसके हाथ में है.
ओम बिरला ने मुस्कुराते हुए लेकिन सख्त लहजे में कहा, मंत्री जी, आप अपनी बात रखें. किसको बोलने देना है और किसको नहीं, यह तय करना मेरा काम है, आपका नहीं. आप आसन को संबोधित करें.
स्पीकर की इस टिप्पणी पर सदन में कुछ पलों के लिए सन्नाटा खिंच गया और फिर हल्की हंसी भी गूंजी. यह एक स्पष्ट संदेश था कि चाहे कोई सांसद हो या केंद्रीय मंत्री, ‘आसन’ (Speaker’s Chair) के अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी स्वीकार नहीं की जाएगी. स्पीकर ने स्पष्ट किया कि सदन में ट्रैफिक कंट्रोलर की भूमिका केवल अध्यक्ष की होती है.
क्यों हो रही थी इतनी गंभीर चर्चा?
जिस समय यह वाकया हुआ, उस समय सदन एक बेहद गंभीर और तकनीकी विषय पर चर्चा कर रहा था. डॉ. जितेंद्र सिंह जिस ‘परमाणु ऊर्जा (संशोधन) विधेयक’ को पारित कराने की वकालत कर रहे थे, उसका उद्देश्य भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलाव लाना है. अब तक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में केवल सरकारी विभाग या पब्लिक सेक्टर यूनिट्स ही काम कर सकते थे. इस संशोधन के जरिए सरकार परमाणु ऊर्जा निगम को अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाने की अनुमति देना चाहती है. परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने में भारी भरकम पूंजी की आवश्यकता होती है. इस बिल के पास होने से परमाणु क्षेत्र में निवेश के रास्ते खुलेंगे.
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Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
December 17, 2025, 17:42 IST

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