Parassinikkadavu Snake Park Photos: क्या आपको सांपों से डर लगता है? अगर हां, तो केरल का कन्नूर जिला आपकी यह सोच बदलने के लिए तैयार है. यहां एक ऐसी जगह है जहां डर रोमांच में बदल जाता है. हम बात कर रहे हैं मशहूर ‘परस्सिनिक्कादावु स्नेक पार्क’ की. यह पार्क सिर्फ एक चिड़ियाघर नहीं है. यह सांपों की एक अलग दुनिया है. कन्नूर शहर से करीब 16 किलोमीटर दूर अंथूर नगरपालिका में स्थित यह पार्क पर्यटकों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है. यहां आपको दुनिया के सबसे जहरीले और खतरनाक सांप देखने को मिलेंगे. किंग कोबरा से लेकर विशालकाय अजगर तक, सब यहां मौजूद हैं. इस पार्क का मकसद सिर्फ सांपों को दिखाना नहीं, बल्कि उन्हें बचाना भी है. यह पार्क अंधविश्वासों को तोड़ता है और आपको इन रेंगने वाले जीवों के करीब लाता है. अगर आप केरल जा रहे हैं, तो इस रोमांचक जगह को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें.
किंग कोबरा से लेकर वाइपर तक: खौफ और खूबसूरती का संगम
परस्सिनिक्कादावु स्नेक पार्क में घुसते ही आपको एक अलग माहौल का अहसास होगा. यह पार्क शहर के बीचोबीच एक हरे-भरे परिदृश्य जैसा है.
यहां प्राकृतिक आवास जैसे बाड़े बनाए गए हैं ताकि सांपों को घर जैसा महसूस हो. पार्क में सांपों का एक शानदार कलेक्शन है. पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण यहां का ‘किंग कोबरा’ है. यह दुनिया का सबसे बड़ा जहरीला सांप है. इसके अलावा यहां आपको ‘स्पेक्टेकल्ड कोबरा’ (नाग), रसेल वाइपर, करैत और कई तरह के पिट वाइपर देखने को मिलेंगे. सिर्फ जहरीले ही नहीं, यहां बिना जहर वाले सांप भी बड़ी संख्या में हैं. इनमें ‘इंडियन रॉक पाइथन’ यानी विशालकाय अजगर और ‘रैट स्नेक’ शामिल हैं.छोटे से हम्प नोज़्ड पिट वाइपर से लेकर विशाल अजगर तक, यहां सांपों की 31 प्रजातियां मौजूद हैं. यह पार्क हर उम्र के लोगों को वन्यजीवों के प्रति जागरूक करता है.
परस्सिनिक्कादावु स्नेक पार्क में कौन-कौन से सांप देखने को मिलेंगे?
इंडियन किंग कोबरा (Indian King Cobra)इंडियन किंग कोबरा दुनिया का सबसे लंबा जहरीला सांप है. यह पश्चिमी घाट के घने जंगलों और घास के मैदानों में पाया जाता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका चौड़ा फन है जो इसे बेहद डरावना और शाही बनाता है. यह इतना ताकतवर होता है कि यह दूसरे सांपों को भी अपना शिकार बना लेता है, चाहे वे जहरीले ही क्यों न हों. अपनी गजब की फुर्ती और खतरनाक जहर के कारण जंगल में इसका एक अलग ही रुतबा है. लोग इसे सम्मान और डर दोनों नजरों से देखते हैं. इसका चिकना शरीर और हमला करने का अंदाज इसे कुदरत का एक अद्भुत लेकिन खौफनाक नमूना बनाता है.
रसेल वाइपर (Russell’s Viper)रसेल वाइपर एक बेहद जहरीला और आक्रामक सांप है. इसके शरीर पर चेन जैसा पैटर्न और अंडाकार निशान बने होते हैं जो इसे पहचान देते हैं. यह देखने में बहुत सुंदर लगता है लेकिन इसका जहर जानलेवा होता है. भारत में सांप के काटने की सबसे ज्यादा घटनाओं के लिए यही सांप जिम्मेदार माना जाता है. यह अक्सर रिहायशी इलाकों और खेतों के आसपास भी मिल जाता है. इसका गुस्सा बहुत तेज होता है और यह पलक झपकते ही हमला कर देता है. इसके शरीर के निशान इसे सूखी पत्तियों और घास में छिपाने में मदद करते हैं. इससे बचकर रहना ही समझदारी है क्योंकि इसका वार खाली नहीं जाता.
कॉमन रैट स्नेक यानी धामन एक बिना जहर वाला सांप है. यह जंगलों के साथ-साथ शहरों और खेतों में भी आम तौर पर पाया जाता है. यह बहुत ही फुर्तीला होता है और अपनी तेज गति के लिए जाना जाता है. इसका मुख्य भोजन चूहे, पक्षी और अंडे होते हैं. किसान इसे अपना दोस्त मानते हैं क्योंकि यह फसलों को बर्बाद करने वाले चूहों को खा जाता है. इसका पतला शरीर और शांत स्वभाव इसे खास बनाता है. अक्सर लोग इसके रंग-रूप के कारण इसे जहरीला समझ लेते हैं और डर जाते हैं. लेकिन असल में यह इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाता और पर्यावरण के संतुलन के लिए जरूरी है.
कॉमन करैत रात के अंधेरे में निकलने वाला एक बेहद जहरीला शिकारी है. इसके शरीर पर बनी सफेद धारियां इसे काली त्वचा पर एक अलग पहचान देती हैं. यह देखने में शांत लगता है लेकिन इसका जहर किंग कोबरा से भी ज्यादा घातक हो सकता है. इसका जहर सीधा नर्वस सिस्टम पर असर करता है जिसे न्यूरोटॉक्सिक कहते हैं. इसके काटने से इंसान को लकवा मार सकता है और सांस लेना बंद हो सकता है. यह अक्सर रात में शिकार की तलाश में निकलता है और सोते हुए लोगों को निशाना बना सकता है. यह भारत के सबसे खतरनाक ‘बिग फोर’ सांपों में से एक है.
हम्प नोज़्ड पिट वाइपर अपने अनोखे चेहरे और नाक के उभार के लिए जाना जाता है. इसकी आंखों और नाक के बीच खास तरह के ‘हीट सेंसिंग पिट्स’ होते हैं. यह कुदरती तकनीक इसे अंधेरे में भी अपने शिकार की गर्मी महसूस करने में मदद करती है. यह एक जहरीला सांप है जिसका जहर हेमोटॉक्सिक होता है. इसका मतलब है कि इसका जहर खून और शरीर के ऊतकों को बुरी तरह नुकसान पहुंचाता है. यह वाइपर परिवार का हिस्सा है और जंगल में छिपकर वार करने में माहिर होता है. इसका छोटा आकार इसे और भी खतरनाक बनाता है क्योंकि यह सूखी पत्तियों में आसानी से नजर नहीं आता.
इंडियन रॉक पाइथन या अजगर अपनी ताकत और विशाल आकार के लिए मशहूर है. इसमें जहर नहीं होता लेकिन यह अपने शिकार को जकड़कर मार डालता है. यह शिकार के चारों ओर अपनी कुंडली मारता है और उसका दम घोंट देता है. पार्क में मौजूद ये सांप देखने में बेहद भारी-भरकम और डरावने लगते हैं. यह छोटे जानवरों से लेकर बड़े शिकार तक को निगलने की क्षमता रखता है. इसकी मांसपेशियों में गजब की ताकत होती है. भले ही यह जहरीला नहीं है लेकिन इसके पास जाना खतरनाक हो सकता है. कुदरत ने इसे एक बेहतरीन शिकारी बनाया है जो बिना जहर के भी जंगल पर राज करता है.
इंडियन स्पेक्टेकल्ड कोबरा भारत का सबसे मशहूर और आइकॉनिक सांप है. इसके फन पर बने चश्मे जैसे निशान के कारण इसे यह नाम मिला है. यह बेहद जहरीला होता है और खतरा महसूस होने पर अपना फन फैलाकर खड़ा हो जाता है. भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं में इस सांप का बहुत महत्व है. लोग इसे नाग देवता के रूप में भी पूजते हैं. यह अक्सर खेतों और गांवों के आसपास चूहों के शिकार के लिए दिखाई देता है. इसका जहर तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है. इसकी फुर्ती और गुस्से वाला स्वभाव इसे दुनिया के सबसे खतरनाक जीवों में शामिल करता है.
कॉमन वुल्फ स्नेक एक बिना जहर वाला सांप है जो अक्सर घरों की दीवारों में मिल जाता है. यह भारत और दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में पाया जाता है. इसका मुख्य भोजन छोटे रेंगने वाले जीव, मेंढक और अंडे होते हैं. यह शिकार को पकड़ने के लिए बहुत तेजी से हमला करता है. इसका पतला शरीर और काली-सफेद धारियां इसे जहरीले करैत जैसा दिखाती हैं. इसी वजह से लोग अक्सर इसे खतरनाक समझकर मार देते हैं. असल में यह एक फायदेमंद सांप है जो कीड़े-मकोड़ों की आबादी को कंट्रोल में रखता है. यह स्वभाव से काफी शर्मीला होता है और रात में ज्यादा सक्रिय रहता है.
मोंटेन ट्रिंकेट स्नेक पश्चिमी घाट के पहाड़ी जंगलों की शान है. यह एक बिना जहर वाला और बेहद खूबसूरत सांप है. इसके शरीर पर बने पैटर्न किसी गहने या ट्रिंकेट जैसे लगते हैं इसलिए इसका यह नाम पड़ा. यह स्वभाव से बहुत ही गुप्त रहना पसंद करता है और आसानी से दिखाई नहीं देता. यह अपनी फुर्ती का इस्तेमाल करके चूहों, पक्षियों और छिपकलियों का शिकार करता है. जंगल के वातावरण में यह खुद को छिपाने में माहिर होता है. वन्यजीव प्रेमियों के लिए इस सांप को देखना किसी खजाने से कम नहीं है. इसकी शिकार करने की तकनीक और रहन-सहन इसे दूसरे सांपों से बिल्कुल अलग बनाता है.
ग्रीन वाइन स्नेक या हरा बेल सांप कुदरत की कारीगरी का बेहतरीन नमूना है. यह बिल्कुल किसी पेड़ की हरी टहनी या बेल जैसा दिखता है. यह बिना जहर वाला सांप है जो दक्षिण एशिया के जंगलों में पाया जाता है. इसका शरीर बहुत लंबा और पतला होता है जो इसे पत्तियों के बीच गायब कर देता है. यह अपनी शानदार छलावरण (कैमफ्लाज) तकनीक का इस्तेमाल करके पक्षियों और छिपकलियों का शिकार करता है. इसकी आंखें बड़ी और नुकीली होती हैं जो इसे शिकार पर फोकस करने में मदद करती हैं. यह अक्सर पेड़ों पर लटका रहता है और शिकार के पास आते ही उस पर झपट्टा मारता है.
चेकर कीलबैक एक पानी वाला सांप है जो नदियों, तालाबों और दलदली इलाकों में रहता है. यह जहरीला नहीं होता लेकिन इसे पानी में तैरने में महारत हासिल है. इसके शरीर पर शतरंज की बिसात (चेकरबोर्ड) जैसे निशान बने होते हैं. इसका मुख्य भोजन मछलियां और मेंढक होते हैं. यह पानी के अंदर बहुत तेजी से तैर सकता है और शिकार को दबोच लेता है. यह सांप दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बहुत आम है. अक्सर लोग इसे पानी वाला सांप कहते हैं. यह जमीन और पानी दोनों जगह रह सकता है इसलिए इसे सेमी-एक्वेटिक कहा जाता है.
कॉमन सैंड बोआ यानी दोमुंहा सांप सूखे और रेतीले इलाकों का राजा है. यह जहरीला नहीं होता और जमीन के अंदर बिल बनाकर रहता है. इसका शरीर मोटा और बेलनाकार होता है जो इसे मिट्टी में छिपने में मदद करता है. इसकी पूंछ भी सिर जैसी गोल दिखती है इसलिए लोग इसे दोमुंहा कहते हैं. यह छोटे स्तनधारियों और पक्षियों का शिकार करता है. यह रेत के अंदर छिपकर अपने शिकार का इंतजार करता है और मौका मिलते ही उसे दबोच लेता है. इसकी त्वचा का रंग इसे रेगिस्तान के माहौल में पूरी तरह से गायब कर देता है.
रेड सैंड बोआ भी सूखे और बंजर इलाकों में पाया जाने वाला एक अद्भुत सांप है. इसकी त्वचा का रंग लाल-भूरा होता है जो इसे पथरीली जमीन में छिपाने में मदद करता है. यह जहरीला नहीं होता लेकिन एक बेहतरीन शिकारी है. यह जमीन खोदने में माहिर होता है और बिलों में रहता है. यह चूहों और छोटे जानवरों का शिकार करके किसानों की मदद करता है. इसका शरीर चिकना और पैटर्न वाला होता है. अक्सर तस्कर इस सांप के पीछे पड़े रहते हैं क्योंकि इसको लेकर कई अंधविश्वास फैले हैं. लेकिन पार्क में इसे सुरक्षित रखा गया है. यह कुदरत के संतुलन के लिए बहुत जरूरी जीव है.
सांपों के साथ लाइव शो: क्या आप में है हिम्मत?
इस पार्क की सबसे खास बात यहां होने वाला ‘लाइव शो’ है. अक्सर लोग सांपों के बारे में कई गलतफहमियां पाल कर रखते हैं. यहां प्रशिक्षित कर्मचारी इन डर और अंधविश्वासों को दूर करने का काम करते हैं. लाइव शो में ट्रेनर्स कोबरा और वाइपर जैसे सांपों के साथ ‘खेलते’ और बातचीत करते हुए नजर आते हैं.
यह नजारा देखकर दर्शकों की सांसें थम जाती हैं. लेकिन इसका मकसद डराना नहीं है. इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि सांप हमेशा हमलावर नहीं होते. यह शो बताता है कि हम इन जीवों के साथ भी सह-अस्तित्व में रह सकते हैं. यह पार्क सांपों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए एक नेक इरादे से स्थापित किया गया था.
स्नेक पार्क का इतिहास: जहर के इलाज से शुरू हुआ सफर
इस पार्क का इतिहास बहुत दिलचस्प है. इसकी स्थापना 8 जनवरी 1982 को पूर्व राज्य मंत्री एम.वी. राघवन ने की थी, जिन्हें लोग प्यार से ‘एमवीआर’ कहते हैं. लेकिन इसकी जड़ें और भी पुरानी हैं.
यह पार्क 1964 में शुरू हुए ‘पप्पिनिसेरी विष चिकित्सा केंद्र’ का एक हिस्सा था. यह केंद्र सांप के काटने के इलाज के लिए बनाया गया था. यहां आयुर्वेद, एलोपैथी और पारंपरिक तरीकों के मेल से मरीजों का इलाज किया जाता है. सांप के काटने की घटनाओं और इलाज की जरूरत को समझते हुए बाद में रिसर्च के लिए इस पार्क की नींव रखी गई.
इसके संस्थापकों को प्रसिद्ध संरक्षणवादी और हरपेटोलॉजिस्ट श्री रोमुलस व्हिटेकर से प्रेरणा मिली थी. व्हिटेकर ने ही चेन्नई में स्नेक पार्क और क्रोकोडाइल पार्क की स्थापना में मदद की थी. पार्क का आदर्श वाक्य है- ‘सांपों को मारो मत, उनसे प्यार करो’ (Love Snakes not kill them).
अगर आप यहां जाने का प्लान बना रहे हैं, तो कुछ बातें नोट कर लें. यह पार्क सुबह 08:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक खुला रहता है.
सड़क मार्ग: कन्नूर एयरपोर्ट से पार्क की दूरी लगभग 19 किलोमीटर है. टैक्सी या कार से जाने में करीब 30 मिनट लगते हैं. आप एयरपोर्ट से सीधे टैक्सी ले सकते हैं. कन्नूर शहर में ऑटो-रिक्शा भी आसानी से मिल जाते हैं.
बस और ट्रेन: कन्नूर शहर से परस्सिनिक्कादावु के लिए बसें चलती हैं. इसके अलावा यहां एक रेलवे स्टेशन भी है. परस्सिनिक्कादावु रेलवे स्टेशन से पार्क सिर्फ 2 किलोमीटर दूर है. आप वहां से पैदल या ऑटो लेकर पार्क पहुंच सकते हैं.
यह पार्क नेशनल हाईवे 17 से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर है, जो कन्नूर से तलिपरम्बा जाने वाले रास्ते पर पड़ता है. पास में ही प्रसिद्ध परस्सिनिक्कादावु मंदिर और विस्मया एम्यूजमेंट पार्क भी हैं, जिससे यह पर्यटकों के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन बन जाता है.

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