IMF ने पाकिस्तान पर कसा शिकंजा, 7 अरब डॉलर के बदले 11 नई शर्तें; कुल 64 नियमों की लिस्ट से मचा हड़कंप!

4 hours ago

IMF Loan Pakistan News: इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की ताजा स्टाफ-लेवल रिपोर्ट में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की कमजोर कड़ियों को साफ तौर पर दिखायै है. रिपोर्ट की माने तो देश में प्रशासनिक खामियां, भ्रष्टाचार का जोखिम और अहम सेक्टरों में लगातार घाटा IMF की चिंता बढ़ गई है. इसी वजह से IMF ने पाकिस्तान पर सख्त शर्तें लगा दी हैं.  ये नई शर्तें भ्रष्टाचार, टैक्स सिस्टम, पावर सेक्टर, बॉन्ड मार्केट, चीनी इंटस्ट्री और सरकारी कामकाज की ट्रांसपेरेंसी से जुड़ी हैं. अगर इन पर अमल नहीं हुआ तो पाकिस्तान के लिए यह राहत पैकेज खतरे में पड़ सकता है.

बता दें कि IMF की दूसरी रिव्यू रिपोर्ट गुरुवार को सामने आई, जिसमें पाकिस्तान को 11 नई शर्तें पूरी करने को कहा गया है. ये शर्तें 7 अरब डॉलर के बेलआउट प्रोग्राम से जुड़ी हैं. Express Tribune की रिपोर्ट के मुताबिक अब पूरे प्रोग्राम के दौरान कुल 64 नियम और शर्तें लागू हों जाएंगी. जिन्हें 18 महीनों में पूरा करना होगा. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

अफसरों की संपत्ति सार्वजनिक
नई शर्तों में अहम मांग यह है कि हाई लेवल के फेडरल सिविल सर्वेंट्स को अपनी संपत्ति की पूरी डिटेल सरकारी वेबसाइट पर डालनी होगी. इसे दिसंबर 2026 तक पूरा करना अनिवार्य है. IMF का कहना है कि इससे इनकम और संपत्ति के बीच अंतर पकड़ने में मदद मिलेगी. इसके अलावा बैंकों को इन जानकारियों तक पूरी पहुंच दी जाएगी.

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भ्रष्टाचार पर लगाम
IMF ने पाकिस्तान को कहा है कि अक्टूबर 2026 तक 10 ऐसे सरकारी विभागों के लिए एक्शन प्लान जारी किया जाए जहां भ्रष्टाचार का खतरा सबसे ज्यादा है. इन विभागों की पहचान पहले ही रिस्क असेसमेंट के जरिए की जा चुकी है. इन योजनाओं का Coordination नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो (NAB) करने वाला है. साथ ही प्रांतीय एंटी-करप्शन एजेंसियों की भूमिका भी बढ़ाई जाएगी, जिससे वे financial crimes की जांच बेहतर तरीके से कर पाएंगे. IMF की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान की कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्था में गंभीर कमियां है.

विदेशी रेमिटेंस पर भी नजर
IMF ने पाकिस्तान को मई 2026 तक विदेशी रेमिटेंस की लागत की पूरी समीक्षा करने को कहा है. इसके साथ क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट में आने वाली रुकावटों पर एक ठोस एक्शन प्लान भी बनाने को कहा है. IMF का अनुमान है कि आने वाले सालों में रेमिटेंस की लागत बढ़कर 1.5 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है, जबकि यही पैसा पाकिस्तान के इंपोर्ट को संभालने का सबसे बड़ा जरिया है.

लोकल करेंसी बॉन्ड मार्केट सुधार
IMF की एक और शर्त के तहत पाकिस्तान को सितंबर 2026 तक यह जांच करनी होगी, लोकल करेंसी बॉन्ड मार्केट के विकास में कौन-कौन सी बाधाएं हैं. इसके बाद सरकार को इसपर सुधार करने के एक रणनीति बनानी होगी और उस योजना को सार्वजनिक करना होगा.

चीनी उद्योग में सुधार 
IMF ने चीनी इंटस्ट्री में जमी हुई ताकत को तोड़ने पर भी जोर दिया है. इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर जून 2026 तक Sugar Market Liberalization Policy बनानी होगी. इस नीति में लाइसेंसिंग, कीमतों पर नियंत्रण, आयात-निर्यात की अनुमति, जोनिंग नियम और लागू करने की समय-सीमा शामिल होगी. 

FBR की कमजोर कार्यप्रणाली सख्त निर्देश
पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) की कार्य करने की क्षमता पर IMF लंबे समय से सवाल उठा रहा है. अब सरकार को दिसंबर 2025 तक FBR सुधारों का पूरा रोडमैप तैयार करना है. इसमें स्टाफ की जरूरत, समय-सीमा, लक्ष्य, expected revenue और performance indicators शामिल होंगे. इसके बाद IMF के साथ तय किए गए कम से कम तीन प्रमुख सुधारों को पूरी तरह लागू करना जरूरी होगा.

टैक्स सुधारों की योजना
IMF ने यह भी साफ किया है कि दिसंबर 2026 तक पाकिस्तान को एक मीडियम-टर्म टैक्स रिफॉर्म स्ट्रैटेजी जारी करनी होगी. इसमें टैक्स पॉलिसी, टैक्स एडमिनिसट्रेशन, कानूनी बदलाव, गवर्नेंस और संसाधनों की पूरी रूपरेखा शामिल शामिल होनी चाहिए.

पावर सेक्टर पर खास फोकस
IMF ने बिजली क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ाने की भी शर्त रखी है. अगले बजट से पहले सरकार को HESCO और SEPCO में प्राइवेट सेक्टर की एंट्री के लिए आधार तैयार करना होगा. साथ ही देश की सात सबसे बड़ी बिजली कंपनियों के साथ पब्लिक सर्विस ऑब्लिगेशन एग्रीमेंट को पूरा करना होगा. इसके अलावा कंपनियों के नियमों को सख्त बनाने के लिए Companies Act 2017 में संशोधन संसद में पेश करना पड़ेगा.

बता दें कि IMF रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि अगर दिसंबर 2025 तक रिवेन्यू टारगेट पूरा नहीं होता तो पाकिस्तान को मिनी बजट लाना होगा. इसमें उर्वरक और कीटनाशकों पर 5 फीसदी एक्साइज ड्यूटी बढ़ाना, महंगे मीठे उत्पादों पर नया टैक्स लगाना और ज्यादा वस्तुओं को स्टैंडर्ड सेल्स टैक्स स्लैब में लाना जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं.

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