अब साइंस ने माना, इस बीमारी से बचा सकता है दही, महिलाओं के रामबाण, एम्स....

12 hours ago

Last Updated:December 18, 2025, 15:09 IST

दूध से ज्‍यादा दही खाना फायदेमंद होता है. आयुर्वेद लगातार इस बात को कहता आया है क‍ि रोजाना एक कटोरी दही कई बीमार‍ियों का काल है, लेक‍िन अब एम्‍स नई द‍िल्‍ली की एक र‍िसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है क‍ि दही न केवल गट हेल्‍थ के ल‍िए फायदेमंद है बल्‍क‍ि इसमें पाया जाने वाला प्रोबायोट‍िक मह‍िलाओं को एक बड़ी बीमारी से बचाता है, जो आमतौर पर मेनोपॉज के बाद देखी जाती है. दही में लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत रखने में फायदेमंद पाया गया है. आइए जानते हैं क्‍या कहती है स्‍टडी..

दही के फायदे वैसे तो आयुर्वेद में काफी बताए जाते हैं लेकिन अब मेडिकल साइंस ने भी इसे मानना शुरू कर दिया है.हाल ही में एम्स में हुई रिसर्च में दही में मौजूद तत्व का ऐसा फायदा सामने आया है जिससे महिलाओं के जीवन की सबसे बड़ी समस्या का समाधान मिल सकता है.

दही के फायदे वैसे तो आयुर्वेद में काफी बताए जाते हैं लेकिन अब मेडिकल साइंस ने भी इसे मानना शुरू कर दिया है.हाल ही में एम्स में हुई रिसर्च में दही में मौजूद तत्व का ऐसा फायदा सामने आया है जिससे महिलाओं के जीवन की सबसे बड़ी समस्या का समाधान मिल सकता है.

आमतौर पर दही में एक आम प्रोबायोटिक पाया जाता है, जो दस्त आदि की शिकायत होने पर काफी फायदेमंद होता है, लेकिन अब इससे भी एक कदम आगे यह न केवल आंत की परेशानी के लिए औषधि है बल्कि 45-50 साल के बाद महिलाओं को होने वाली सबसे कॉमन बीमारी का रामबाण इलाज भी है.

आमतौर पर दही में एक आम प्रोबायोटिक पाया जाता है, जो दस्त आदि की शिकायत होने पर काफी फायदेमंद होता है, लेकिन अब इससे भी एक कदम आगे यह न केवल आंत की परेशानी के लिए औषधि है बल्कि 45-50 साल के बाद महिलाओं को होने वाली सबसे कॉमन बीमारी का रामबाण इलाज भी है.

एम्स नई दिल्ली में हुए नए वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि दही और आहार पूरकों में पाया जाने वाला एक प्रोबायोटिक लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज के बाद महिलाओं को हड्डियों को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है.

एम्स नई दिल्ली में हुए नए वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि दही और आहार पूरकों में पाया जाने वाला एक प्रोबायोटिक लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज के बाद महिलाओं को हड्डियों को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है.

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40 की उम्र के बाद आमतौर पर महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं. रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन के स्तर में तेजी से गिरावट आती है, जिससे हड्डियों की मजबूती काफी हद तक प्रभावित होती है. इस हार्मोनल बदलाव से हड्डियां पतली होने लगती हैं और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि इसमें सिर्फ हार्मोन नहीं बल्कि पेट या आंत का स्वास्थ्य भी मायने रखता है.

40 की उम्र के बाद आमतौर पर महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं. रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन के स्तर में तेजी से गिरावट आती है, जिससे हड्डियों की मजबूती काफी हद तक प्रभावित होती है. इस हार्मोनल बदलाव से हड्डियां पतली होने लगती हैं और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि इसमें सिर्फ हार्मोन नहीं बल्कि पेट या आंत का स्वास्थ्य भी मायने रखता है.

स्टडी करने वाले रिसर्चर्स में से एक एम्स के डॉ. रूपेश कहते हैं, 'हमारी स्टडी बताती है कि मेनोपॉज के बाद हड्डियों का कमजोर होना सिर्फ हार्मोनल समस्या नहीं है, बल्कि यह पेट के स्वास्थ्य और इम्यून रेगुलेशन से भी जुड़ा हुआ है. हमने पाया कि लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस पेट में सुरक्षात्मक और हानिकारक इम्यून सेल्स के बीच संतुलन बनाती है, ताकि सूजन न आए और हड्डियां कमजोर न हों.

स्टडी करने वाले रिसर्चर्स में से एक एम्स के डॉ. रूपेश कहते हैं, 'हमारी स्टडी बताती है कि मेनोपॉज के बाद हड्डियों का कमजोर होना सिर्फ हार्मोनल समस्या नहीं है, बल्कि यह पेट के स्वास्थ्य और इम्यून रेगुलेशन से भी जुड़ा हुआ है. हमने पाया कि लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस पेट में सुरक्षात्मक और हानिकारक इम्यून सेल्स के बीच संतुलन बनाती है, ताकि सूजन न आए और हड्डियां कमजोर न हों.

बता दें कि इस स्टडी में रेगुलेटरी T सेल्स (Tregs) की भूमिका पर जोर दिया गया है. ये इम्यून सेल्स का एक ग्रुप है जो ज्यादा सूजन को कम करता है और हड्डी के टिशू की रक्षा करता है. ये सेल्स कुछ हद तक गट में विकसित होते हैं और गट बैक्टीरिया से प्रभावित होते हैं.

बता दें कि इस स्टडी में रेगुलेटरी T सेल्स (Tregs) की भूमिका पर जोर दिया गया है. ये इम्यून सेल्स का एक ग्रुप है जो ज्यादा सूजन को कम करता है और हड्डी के टिशू की रक्षा करता है. ये सेल्स कुछ हद तक गट में विकसित होते हैं और गट बैक्टीरिया से प्रभावित होते हैं.

रिसर्चर्स ने पाया कि लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस सप्लीमेंट लेने से यह इम्यून बैलेंस फिर से बहाल हो गया. यह प्रोबायोटिक दही में पाया जाता है. इतना ही नहीं इसने सुरक्षात्मक Treg सेल्स की संख्या बढ़ाई, जबकि सूजन बढ़ाने वाली Th17 सेल्स को कम किया, जिससे हड्डियों का कमजोर होना धीमा हो गया.

रिसर्चर्स ने पाया कि लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस सप्लीमेंट लेने से यह इम्यून बैलेंस फिर से बहाल हो गया. यह प्रोबायोटिक दही में पाया जाता है. इतना ही नहीं इसने सुरक्षात्मक Treg सेल्स की संख्या बढ़ाई, जबकि सूजन बढ़ाने वाली Th17 सेल्स को कम किया, जिससे हड्डियों का कमजोर होना धीमा हो गया.

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First Published :

December 18, 2025, 15:09 IST

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