अहमदाबाद प्लेन क्रैश को पूरे हुए 6 महीने, आखिरी निशानी के लिए जारी है जद्दोजहद

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Last Updated:December 13, 2025, 11:03 IST

AI-171 Plane Crash Investigation: अहमदाबाद एयर इंडिया प्‍लेन हादसे के छह महीने बाद भी पीड़ित परिवारों के उनके सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. अमेरिकी वकील माइक एंड्रयू ने जांच, संभावित इलेक्ट्रिकल खराबी और मुआवजे की प्रक्रिया पर को लेकर सवाल खड़े किए हैं.

अहमदाबाद प्लेन क्रैश को पूरे हुए 6 महीने, आखिरी निशानी के लिए जारी है जद्दोजहद

AI-171 Plane Crash Investigation: गुजरात के अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया AI-171 प्‍लेन क्रैश को छह महीने पूरे हो चुके हैं, लेकिन इस त्रासदी से जुड़े कई सवाल ऐसे हैं, जिनके जवाब आज तक नहीं मिले हैं. प्‍लेन क्रैश में अपनों को खोने वाले परिवार की हर सुबह इन्‍हीं सवालों के साथ होती है और रात इन्‍हीं सवालों के साथ खत्‍म हो जाती है. ये परिवार आज भी यह जानने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं कि आखिर उस दिन प्‍लेन के साथ क्या हुआ, यह दुर्घटना कैसे हुई और इसकी असली वजह क्या थी? हालात यह हैं कि अपनों की आखिरी निशानी पाने के लिए परिजनों को खासी जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

इन पीड़ित परिवारों की आवाज बनकर सामने आए अमेरिकी वकील माइक एंड्रयू के अनुसार पीड़ित परिवार धीरे-धीरे अपने गहरे दुख से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक यह घाव भर नहीं सकता. कई परिवार आज भी मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं, जिसका उनसे वादा किया गया था. कुछ परिवार तो अपने अपनों की यादों से जुड़े छोटे-छोटे निजी सामान तक वापस पाने की आस लगाए बैठे हैं. किसी के लिए भले ही वह क्रैश हुई फ्लाइट से मिला हुआ सामान है, पर पीडि़त परिवारों के लिए वह अपनों की आखिरी याद है.

प्रिलिमिनरी रिपोर्ट ने बढ़ाई उम्मीद के साथ बेचैनी भी
वहीं, प्‍लेन क्रैश की इंवेस्टिगेशन को लेकर उनका कहना हे कि एएआईबी की प्रिलिमिनरी रिपोर्ट आने के बाद उम्मीद और बेचैनी दोनों बढ़ गई है. शुरुआती दिनों में सुसाइड एंगल जैसी बातें भी सामने आई थीं. यह बात परिवारों के लिए किसी और सदमे से कम नहीं थी. इस सप्ताह भारतीय जांच एजेंसी एएआईबी और अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड ने वॉशिंगटन में कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर को सुना और देखा है. यह वही रिकॉर्डिंग्स हैं, जिनमें शायद उस आखिरी उड़ान की सच्चाई कैद है.

एंड्रयू ने साफ शब्दों में कहा कि उन्होंने कभी इस थ्योरी को दिल से नहीं माना, लेकिन उस समय तक पूरा डेटा उपलब्ध नहीं था. अब भी उनका मानना है कि अगर सब कुछ इतना साफ होता, तो इंवेस्टिगेटर्स को हजारों किलोमीटर दूर जाकर डेटा खंगालने की जरूरत नहीं पड़ती. उन्‍होंने प्‍लेन में संभावित इलेक्ट्रिकल खराबी की ओर इशारा करते हुए कहा कि टेकऑफ के तुरंत बाद रैम एयर टर्बाइन (RAT) का अपने आप सक्रिय हो जाना बेहद असामान्य है. आमतौर पर ऐसा तभी होता है, जब प्‍लेन के सिस्टम में कोई गंभीर गड़बड़ी आ जाए.A

हमें इंसाफ जल्‍दी नहीं, बल्कि सही चाहिए
उन्होंने बताया कि एक सर्वाइवर ने केबिन लाइट्स के अचानक बंद होने और फिर से जलने की बात कही थी, यह संकेत भी किसी इलेक्ट्रिकल फेल्योर की ओर इशारा करता है. एंड्रयू का मानना है कि कॉकपिट में रिकॉर्ड हुई बातचीत, जैसे ‘आपने कट क्यों किया?’, शायद किसी तकनीकी गड़बड़ी का नतीजा हो सकती है, न कि किसी जानबूझकर लिए गए फैसले का. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टीम बोइंग 787 प्‍लेन के इलेक्ट्रिकल सिस्टम की पुरानी दिक्‍कतों की पड़ताल कर रही है. इंडस्ट्री में नौ-दस साल पहले जिन खामियों पर सवाल उठे थे, कहीं वही इस हादसे की जड़ तो नहीं, इसका जवाब ढूंढा जाना जरूरी है.

अंत में, माइक एंड्रयू ने कहा कि इंसाफ की राह जल्दी नहीं, बल्कि सही होनी चाहिए. उनके मुताबिक, उनकी टीम किसी तय तारीख के पीछे नहीं भाग रही, बल्कि सबूतों, डेटा और सच्चाई के पीछे चल रही है. क्योंकि इन परिवारों के लिए यह सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि अपने अपनों की आखिरी आवाज़ को समझने की कोशिश है—एक ऐसा जवाब, जो शायद उनके दर्द को पूरी तरह मिटा न सके, लेकिन उन्हें चैन से सांस लेने का हक जरूर दे सके.

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Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें

Location :

Ahmedabad,Ahmedabad,Gujarat

First Published :

December 13, 2025, 11:03 IST

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