Last Updated:December 16, 2025, 14:56 IST
NIrbhaya Kand 13 Years: 13 साल पहले 16 दिसंबर को हुए निर्भया कांड ने दिल्ली ही नहीं पूरे देश को झकझोर दिया था. इस जघन्य सामूहिक रेपकांड के बाद पूरी दिल्ली सड़कों पर उतर आई थी और महिला सुरक्षा में कई कड़े कानून भी बने थे. हालांकि NCRB के 2023 आंकड़े बताते हैं कि इस घटना के 13 साल बाद भी दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कमी नहीं आई है.
आज निर्भया कांड के 13 साल पूरे हुए हैं. यह घटना साल 2012 में 16 दिसंबर को हुई थी जिसने पूरा देश झकझोर दिया था. 16 दिसंबर 2012 की वह काली रात आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है. मुनिरका और वसंत कुंज की सड़कों पर दौड़ती वह प्राइवेट बस और उस बस में से उठती चीत्कार का दृश्य सोचकर आज भी लोग सहम उठते हैं. 13 साल पहले ठीक आज ही की तारीख में सर्दी की गहरी रात में सड़क पर पड़ी निर्भया मदद की गुहार लगा रही थी लेकिन भीड़ का रेला आसपास से गुजरता रहा. जब निर्भया अस्पताल पहुंची तो उसकी हालत देखकर डॉक्टरों के भी होश उड़ गए. ऐसी भीषण यातना उन्होंने पहली बार देखी थी.
वह घटना न केवल जघन्यता की सभी सीमाओं को तोड़ती हुई साबित हुई बल्कि उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. हालांकि इस घटना के बाद पूरी दिल्ली के युवा सड़कों पर उतर आए. इस दुर्दांत घटना के बाद कानून को और मजबूत व कड़ा करने की मांग उठी, पीड़िता को न्याय और अपराधियों को फांसी दिए जाने की हुंकार भरी गई, महिला सुरक्षा के मुद्दे को लेकर युवा इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन के बीच दौड़ते रहे. भरी सर्दी में पानी की तेज बौछारें और आंसू गैस के गोले भी उनके आक्रोश को कम नहीं कर पाए और आखिरकार जस्टिस जेएस वर्मा कमेटी सहित ऐसे दर्जनों काम हुए जो महिला सुरक्षा को राष्ट्रीय स्तर पर सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए.
इस घटना की शिकार बनी पैरामेडिकल की वह छात्रा निर्भया तो आखिरकार दम तोड़ गई लेकिन देश को महिला सुरक्षा को लेकर अहम सबक दे गई. उसने देश की राजधानी में सुरक्षा पहरे की पोल खोलकर रख दी. उसने मानवों के चेहरे में बसे दानवों की परतें उधेड़ दीं. सही मायनों में इस घटना ने ही बताया कि कोई गांव या शहर तो छोड़िए देश की राजधानी में भी कोई महिला सुरक्षित नहीं है. उस वक्त तमाम नियम, सुविधाएं, फंड, सिफारिशें और कानून बने, बहुत वादे हुए, लेकिन आज 13 साल बाद भी दिल्ली के हालात बहुत नहीं बदले हैं.
13 साल पहले हुई घटना के बाद सड़क से लेकर बसों तक में सुरक्षा के इंतजाम किए गए, महिला हेल्पलाइन से लेकर वन स्टॉप सेंटर और निर्भया फंड तक जारी हुआ, लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि कई साल तक पूरा निर्भया फंड भी इस्तेमाल नहीं हो पाया था. इतना ही नहीं महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराध और वारदातों की संख्या अभी भी कम नहीं हुई है. आए दिन रेप और सामूहिक रेप की घटनाओं की सूचना आती है. इस बारे में एनसीआरबी के हालिया आंकड़े भी काफी चौंकाने वाले हैं.
क्या कहते हैं एनसीआरबी के लेटेस्ट आंकड़े
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के 2023 के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में दिल्ली अभी भी टॉप कर रही है. यहां एक साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 13,366 मामले दर्ज हुए हैं. जिनमें रेप और एसिड अटैक के मामले टॉप पर हैं. छोटी बच्चियों के साथ रेप के मामलों में 1,048 केस पॉक्सो के अंतर्गत दर्ज हुए हैं. जबकि राजधानी में 1088 रेप के मामले दर्ज हुए हैं. साल 2022 की बात करें तो यहां महिलाओं के खिलाफ अपराध के 14,158 मामले आए थे. जबकि उससे पहले साल 2021 में 13,982 केस दर्ज हुए थे.ऐसे में साफ है कि दिल्ली में महिलाओं और छोटी बच्चियों के खिलाफ अपराधों में अभी भी कोई कमी नहीं आई है.
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प्रिया गौतमSenior Correspondent
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्...और पढ़ें
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
December 16, 2025, 14:56 IST

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